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________________ 366 महाकवि भूधरदास : दशलक्षण धर्म का पालन करते हैं। अंग - पूर्वरूप शास्त्रों को पढ़ते हैं । एकाकी विचरण करते हैं। ग्रीष्मकालमें पर्वत के शिखर पर, वर्षा में वृक्ष के नीचे और शीतकाल में नदी के तट पर रहकर तप एवं ध्यानरूपी अग्नि द्वारा कर्मों को जला देते हैं। 'मुनि क्रोधादि चौदह प्रकार के अंतरंग और दस प्रकार के बहिरंग परिग्रह से रहित निम्रन्थ होते हैं । निम्रन्थ हुए बिना मुनिपद नहीं होता है और मुनिपद बिना निर्वाण (मोक्ष) नहीं होता है। परिग्रह से निरन्तर बन्धन होता है और जहाँ बन्ध का कारण परिग्रह है, वहाँ मुक्ति कैसे हो सकती है? जिस प्रकार सूर्य पश्चिम से नहीं निकल सकता, अग्नि शीतल नहीं हो सकती; उसी प्रकार मराजा नियम हुए बिना मोक्ष प्राप्त नहीं हो सकता ।' मुनि संसार शरीर, भोग से विरक्त, अपने स्वभाव में अनुरक्त, जगत की ओर पीठ तथा मोक्ष की ओर दृष्टि करने वाले तथा पाँच महाव्रत, पाँच समिति, तीन गुप्तिरूप तेरह प्रकार का चारित्र पालने वाले होते हैं। इनके पालने से वे मोक्ष को प्राप्त करते हैं । ' मुनि अपने शुद्ध आत्म-स्वभाव में लीन रहते हैं। शत्रु-मित्र, महलश्मशान, कुंकम-कीचड़, कोमल सेज-कठोर पाषाण, कंचन-काँच, दुष्ट-सज्जन, निदंक-सेवक, जीवन- मरण, आदि उनके लिए बराबर हैं; वे इन सबमें समानभाव रखते हैं। वे अपने शरीर के प्रति भी निर्ममत्व होते हैं, उनके हृदय में सात प्रकार के भय नहीं होते हैं। 'सम्पूर्ण आशाओं के त्यागी, वन में निवास करने वाले, नग्न दिगम्बर शरीर वाले, मद का परिहार करने वाले-ऐसे महान मुनिराज के प्रति हम हाथ जोड़कर सिर झुकाते हैं। 1. (क) बारह विधि दुद्धर तप करै । दशलानी धरम अनुसरै। पढ़े अंग पूरव श्रुति सार । एकाको विचरै अनगार॥ ग्रीष्म यसै गिरि शीश । वर्षा में तरुवर मुनि ईश ॥ शीत मास तटनी तट रहै । ध्यान अगिनि के कर्मनि दहै। पाचपुराण, अधिकार 3 पृष्ठ 19 (ख) जैनशतक, भूपरदास, पद्य 13 (साधु स्तुति) 2. पार्श्वपुराण, कलकत्ता, अधिकार 9 पृष्ठ 85 3. पार्श्वपुराण, कलकत्ता, अधिकार 9 पृष्ठ 86 4. पार्श्वपुराण, कलकत्ता, अधिकार 3 पृष्ठ 19 5. तजि सकल आस वनवास बस, नगन देह मद परिहरे। ऐसे महंत मुनिराज प्रति, हाथ जोर हम सिर घरे॥ पावपुराण, कलकत्ता, अधिकार 9 पृष्ठ 85
SR No.090268
Book TitleMahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Jain
PublisherVitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
Publication Year
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size9 MB
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