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एक समालोचनात्मक अध्ययन
डा. पवनकुमार जैन ' ने सन्त साहित्य की जिन भावपक्षीय विशेषताओं की विवेचना की है वे हैं -
1. लोकपरक अभिव्यक्ति 2. धार्मिक चेतना 3 विचार स्वातन्त्र्य
4. व्यक्तिगत जीवन में पवित्रता 5. ज्ञान की अपेक्षा अनुभव को महत्त्व 6. प्रेमपरक लोकाश्रित साधना 7. गुरू का महत्त्व
8. ध्यान एवं समाधि 9. परमतत्त्व, माया, जीवात्मा आदि का विवेचन 10 अहिंसा
11 सामाजिकता 12 सत्यान्वेषण
डॉ. मुक्तेश्वर तिवारी ने सन्त कवियों को निम्नलिखित विशेषताओं पर प्रकाश डाला है -
1. वर्ग और सम्प्रदाय विहीनता 2. सन्तों का ब्रह्मवादी होना 3. सन्तों के ज्ञान में अनुभूति की प्रधानता 4. नाम स्मरण सन्त साधना की प्रमुखता 5. सन्त कवियों की सर्वग्राही समन्वयवादी प्रवृत्ति 6. सन्त कवियों में रचना शैली की अपेक्षा भावों की प्रधानता 7. सन्त कवियों द्वारा मुक्तक या स्वान्तः सुखाय रचना 8. सन्त कवियों के उपास्य निर्गुण और सगुण से परे अनिर्वचनीय तत्त्व
9. सन्तों की माया का मोहिनी और विकराल - दोनों रूप। 1, महावीर वाणी के आलोक में हिन्दी का सन्त काव्य-डॉ. पवनकुमार जैन पर 86 से 91 2. मध्ययुगीन सूफी और सन्त साहित्य-डॉ. मुक्तेश्वर तिवारी पृष्ठ 211 से 214