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________________ एक समालोचनात्मक अध्ययन 341 भोक्तृत्व • व्यवहार नय से जीव सुख - दुःखरूप पुद्गलकर्म का फल मोगता है और निश्चय नय से अपने (चैतन्य भाव) परमार्थ सुख का भोक्ता देह प्रमाण - व्यवहार नय से जीव शरीर के प्रमाण प्रदेश वाला है तथा निश्चयनय से लोकाकाश के समान प्रदेशवाला है। 'व्यवहारनय से जीव संकोच विस्तार शक्ति के कारण समुद्घात अवस्था को छोड़कर छोटे और बड़े शरीर के प्रमाण में रहता है। जैसे दीपक का प्रकाश भाजन (पात्र) के प्रमाण रहता है। समुद्घात - मूल शरीर को छोड़े बिना कार्माण एवं तैजस सहित आत्मप्रदेशों का शरीर के बाहर निकलना समुद्घात कहलाता है। समुद्घात के सात भेद है - वेदना, कषाय, विक्रिया, मारणान्तिक, तैजस आहारक तथा केवली समुद्घात । अधिक दुःख होने पर (मूल शरीर को छोड़े बिना) जीव के प्रदेशों का बाहर निकलना वेदना समुद्घात है । तीव्र क्रोधादि कषाय के कारण शत्रु का नाशादि करने जीव के प्रदेशों का बाहर निकलना कषाय समुद्घात है। अनेक विक्रिया के लिए देव और नारकी जीवों के आत्मप्रदेशों का बाहर निकलना विक्रिया समुद्घात है । किसी जीव के मृत्यु के समय (मूल शरीर को न छोड़कर) अन्य जन्मस्थान (अगली बँधी हुई आयु के स्थान) को स्पर्श करने के लिए आत्मप्रदेशों का बाहर निकलना मारणान्तिक समुद्घात है। अनिष्टकारक पदार्थो को देखकर मुनियों के मन में क्रोध उत्पन्न होने से उनके बाँये कन्धे से बारह योजन लम्बा और नौ योजन चौड़ा बिलावाकार सिन्दूरी रंग का पुतला निकलता है, जो उस व्यक्ति या वस्तु एवं नगर सहित साधु का भी नाश कर देता है, वह अशुभ तैजस कहलाता है। जगत को रोग, दुर्भिक्ष आदि से दुःखी देखकर मुनि को दयाभाव उत्पन्न होने से जगत का दुःख दूर करने के लिए मूल शरीर को छोड़े बिना ही तपोबल द्वारा दाहिने कंधे से पुरुषाकार सफेद पुतला निकलता है और दुःख दूर करके फिर अपने शरीर में प्रवेश करता है, उसे शुभ तैजस 1. प्रानी सुख दुःख आप, भुगते पुद्गल कर्म फल । यह व्यवहारी छाप, निहचे निज सुख भोगता ।। पार्श्वपुराण, कलकत्ता, अधिकार १, पृष्ठ 79 2. देह मात्र व्यवहार कर, कझो ब्रह्म भगवान । दरवित नय की दृष्टि सों, लोक प्रदेश समान ॥ पार्श्वपुराण, कलकत्ता, अधिकार 9, पृष्ठ 79 3. वही अधिकार 9, पृष्ठ 79
SR No.090268
Book TitleMahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Jain
PublisherVitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
Publication Year
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size9 MB
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