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________________ एक समालोचनात्मक अध्ययन 287 माता, लता, गृह, शिक्षा, दर्पण, शिखर, तावत्, कल्याण, अणुव्रत, तृष्णा, शुभाशुभ, यद्यपि, ब्रह्मचर्य, यत्र, तत्र, तृतीय, श्रावक, निग्रन्थ आदि। तद्भव - परजाय, भेव, सुन्न, छुधा, फरस, चरिया, परीषह, बीछ्, तीखन, न्हौन, महोच्छव, पसेव, गाँव, सोरन, रयणावर, सबन, उछाव, सांझ, भाखा, जोग, परमेठ, गेह, परसै, विसन, बिरतंत, सदीव, दीसत, अलप, बरनत, सुरग, आचारज, पहुमी, खीर, सांथिया, पोह, रात, चौदह, सारसुत, साँच, जस, सुरग, आचारज, अच्छर, परोच्छ, थान, मंझार, कुदिष्ट, आंब, सिरीवच्छ, विरखि, सुपन, थुति, दुति, निठुर आदि। देशी :- नेरे, वादि, हेठ, पठायौ, माये, पैड, पोट, तिसाये, करहा, पेट, बाढ़, चौखूट. सौ. पुतला. निगर, गांचा अदक, पिस, बझती दुहारी, चांपै, झकसर, अटपटे, लगार, आदि। विदेशी :- ख्बारी, पीर, जरा, गुमान, परहा, कूची, इत्यादि । पार्श्वपुराण में कई प्रकृताभास शब्दों का भी प्रयोग हआ है - उकाय विनठ्ठी, दिछी, सत्य, समत्थ, चक्कवे, कज्जल, सज्जहि, गज्जहि, लोयन, अज्जिया आदि । 2. जैनशतक की भाषा :- भूधरदास द्वारा रचित जैनशतक की भाषा साफ सुथरी और मधुर साहित्यिक ब्रजभाषा है। उसमें संस्कृतभाषा के यथावत् रूप में तत्सम शब्द, बिगड़े हुए रूप में तद्भव शब्द, प्राकृत भाषा के शब्दों जैसे प्रतीत होने वाले प्राकृताभास शब्द, अरबी फारसी आदि विदेशी भाषाओं के शब्द तथा क्षेत्रीय प्रभावयुक्त देशज शब्द मिलते हैं। जैनशतक की भाषा के सम्बन्ध में डॉ. रामसरूप का कथन ध्यातव्य है - "जैनशतक की भाषा साफ सुथरी और मधुर साहित्यिक ब्रजभाषा है। उसमें कहीं कहीं पर यार, माफिक, दगा आदि प्रचलित सुबोध विदेशी शब्द भी दिखाई देते हैं। कुछ पदों में समप्पै, थप्प, रुच्च, मच्चै आदि प्राकृताभास शब्दों का भी प्रयोग दिखाई देता हैं कुछ रूढ़ियाँ एवं लोकोक्तियाँ भी प्रयुक्त की गई हैं।" कवि द्वारा जैनशतक में प्रयुक्त शब्दावली का विवेचन पदों के क्रमांक सहित निम्नलिखित है - तत्सम शब्द :- जैनशतक में शुद्ध संस्कृत के शब्दों का प्रयोग इस प्रकार हुआ है - नासिका छन्द 3, मराल छन्द 4, मौलि छन्द 6, मयूर छन्द 8, 1. हिन्दी में नीति काव्य का विकास- डॉ. रामस्वरूप पृष्ठ 500
SR No.090268
Book TitleMahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Jain
PublisherVitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
Publication Year
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size9 MB
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