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________________ एक समालोचनात्मक अध्ययन 267 स्वाभाविक भाषा में लिखा है । पदों की यह भाषा ब्रज है किन्तु उसमें प्रादेशिक बोली के साथ-साथ अन्य भाषाओं के शब्द भी मिलते हैं। कवि ने इन पदों को सोरठ, ख्याल (बरवा) खयाल कान्हड़ी, घनासारो (घनाश्री) बिहाग, काफी, सारंग, बिलावल, बंगाला, मलार (मल्हार) पंचम, नट, गौरी, रामकली, भैरव, कालिंगड़ा, सलहामारु आदि राग-रागनियों में लिखा है। भूधरदास द्वारा रचित पदों की प्राप्ति के दो स्रोत्र हैं 1. विभिन्न प्रकाशित पदसंग्रह 2. अनेक शास्त्रभण्डारों में उपलब्ध हस्तलिखित गुटके । दोनों ही प्रकार के साधनों से प्राप्त भूधरदास के पदों की कुल संख्या 96 निश्चित होती है।' पूर्व में इन पदों को भक्तिपरक, विप्रलभ-श्रृंगारपरक अध्यात्म एवं नीतिपरक के रूप में विभाजित करते हुए इनकी विषयवार निश्चित संख्या दी जा चुकी है। भक्तिपरक पदों में कवि ने देव, शास्त्र, गुरु एवं धर्म के प्रति भी भक्ति भाव प्रदर्शित किया है। इन पदों में कवि ने जहाँ एक ओर अरहंत सिद्ध के रूप में सामान्य जिनेन्द्र प्रभु की भक्ति की है वहाँ दूसरी ओर ऋषभदेव, अजितनाथ, शांतिनाथ, नेमिनाथ, सीमंधर आदि विशेष तीर्थकरों की भी भक्ति की है। विप्रलंभ श्रृंगारपरक पदों में कवि ने नेमि और राजुल का प्रणय पूरा न होने पर भी राजुल द्वारा नेमिनाथ के प्रति अनुराग प्रदर्शित किया है तथा उनके वियोग में हुई पीड़ा को अभिव्यक्ति दी है। इन पदों में लोकमर्यादा का उल्लंघन और वासना की गंध दिखाई नहीं देती है। इनके द्वारा लोकमंगल और लोकरंजन की भावना व्यक्त हुई है। साथ ही भारतीय नारी की गरिमा सिद्ध हुई है। राजुल वह भारतीय नारी है, जिसमें भारतीय संस्कृति का सत्य, सौन्दर्य एवं शिवत्व मुखरित हुआ है। अध्यात्मपरक पदों में आत्महित की प्रेरणा के साथ जीव, जगत आदि तत्त्वज्ञान एवं धर्म का उपदेश भी दिया है। संसार, शरीर, भोग स्त्री, पुत्रादि से 1. प्रस्तुत शोध प्रबन्ध अध्याय 4 2. प्रस्तुत प्रबन्ध शोध अध्याय 4
SR No.090268
Book TitleMahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Jain
PublisherVitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
Publication Year
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size9 MB
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