SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 237
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ एक समालोचनात्मक अध्ययन 207 वाराणसी नरेश अश्वसेन के यहाँ कुबेर द्वारा प्रतिदिन साढ़े तीन करोड़ स्लों की वर्षा की जाती है - *साढे तीन करोड़ परवान, यो नित बरष रतन महान। 1 देवों द्वारा पार्श्वनाथ के गर्भ में आने के छह महिने पहिले से पंचाश्चर्य किये जाते हैं - "देवन किये छह मास लो, पंचाचरज अनूप। देखि देखि प्रजा भई, आनन्द अचरज रूप ॥2 इसी प्रकार गर्भकाल के नौ माह में भी पूर्ववत् पंचाश्चर्य होते रहते हैं "पूरववत नव मास लों, पंचाचरज अनूप। अश्वसेन भूपालघर, किये धनद सुखरूप ॥" पार्श्वनाथ के गर्भ में आने के पहले महारानी वामादेवी को चौथे प्रहर में सोलह स्वप्न दिखाई देते हैं - “पच्छिम रैन रही जब आय, सौलह सुपनै देखे माय।' कुलगिरिवासिनी देवियों द्वारा माता का गर्भशोधन किया जाता है। “तिनकी गर्भशोधना करो, निजनियोग सेवा मनधरो।। वैशाख कृष्ण द्वितीया के दिन विशाखा नक्षत्र में पार्श्वनाथ वामादेवी के गर्भ में आते हैं - “कृष्ण पाख वैशाख दिन, दुतिया निशि अवसान। विमल विशाखा नखत में, बसे गर्भ जिन आन ||" देव परिवार सहित उनका गर्भकल्याणक मनाने बनारस नगर में आते हैं "चढ़ि विमान परिवार समेत। बड़े गर्भकल्यानक हेत ॥"? रूचकवासिनी देवियाँ माता की सेवा करने तथा उनका मनोरंजन करने आती हैं - "जथाजोग सब सेवा कर, छिन छिन जिनजननी मन हरे॥ 1. पार्श्वपुराण-कलकत्ता, अधिकार 5 पृष्ठ 46 3. वही, अधिकार 5, पृष्ठ 50 5. वही, अधिकार 5, पृष्ठ 48 7. वही, अधिकार 5, पृष्ठ 49 2. वहीं, अधिकार 5, पृष्ठ 46 4. वही, अधिकार 5, पृष्ठ 46 6. वही, अधिकार 5, पृष्ठ 49 8. वही, अधिकार 5, पृष्ठ 4
SR No.090268
Book TitleMahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Jain
PublisherVitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
Publication Year
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy