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________________ एक समालोचनात्मक अध्ययन 189 भी है। इसमें किया गया छन्दों का प्रयोग रामचरितमानस जैसा निश्चित या विशेष योजनानुसार न होकर स्वतन्त्र एवं इच्छानुसार है । इसमें प्रयुक्त छन्द दोहा, चौपाई, छप्पय, सोरठा, घनाक्षरी, चाल, पदरी, चामर, कुसुमलता, नरेन्द्र, जोगीरासा, सोमावती, बेलीचाल, अडिल्ल, हरिगीत, ढाल इत्यादि अनेक हैं। अनेक अधिकारों एवं छन्दों में लिखा गया पाश्वपुराण का कथानक सर्गबद्ध एवं छन्दबद्ध है। आचार्य विश्वनाथ के अनुसार- “महाकाव्य आठ सर्गों से बड़ा और अनेक वृत्तों से युक्त होना चाहिए" इस कसौटी पर पार्श्वपुराण पूरी तरह खरा उतरता है। 3. कथाप्रवाह या सम्बन्धनिर्वाह :• महाकाव्य में कथाप्रवाह या सम्बन्ध-निर्वाह का बड़ा महत्त्व होता है। इसके लिए प्रथम, कथानक में एक प्रसंग दूसरे प्रसंग से सम्बद्ध हो। दूसरा, उनकी प्रासंगिक कथाएँ आधिकारिक कथा के साथ अच्छी तरह जुड़ी हुई हों, वे मुख्य वस्तु को अग्रसर करने में, उसके विकास में सहायक हों। उसकी प्रत्येक घटना प्रत्येक पात्र और प्रत्येक वर्णन ऐसा होना चाहिए, जो आधिकारिक कथा की गति में सहायता करें। वे ऊपर से आरोपित प्रतीत न हो, कथा के अभिन्न अंग बन कर आये। इन दोनों दृष्टियों से “पार्दपुराण" का कथानक सफल है। उसका सम्बन्ध निर्वाह सफल है - एक प्रसंग के बाद दूसरा प्रसंग सहज ही आता गया है। कथा का तार न तो कहीं टूटा है और न ऐसा लगता है कि विविध प्रसंगों को सायास संग्रहीत किया गया है। कवि अनेक स्थलों पर कथात्मक प्रसंगों को अधिक विस्तार देकर और लम्बे वर्णनों में उलझकर भी सम्बन्ध निर्वाह की रक्षा करने में समर्थ रहा है ।' कहीं कहीं पाठक सम्बन्ध सूत्र टटोलने में बैचेन हो उठता है। कथानक में भग्नदोष तो नहीं, परन्तु उसके सन्तुलन पर प्रश्नचिह्न अवश्य लगाया जा सकता है। यद्यपि अन्तिम सर्ग में तीन चौथाई अंश की योजना अनावश्यक लगती है, फिर भी मूल कथावस्तु और नायक से उसका सम्बन्ध विच्छिन्न नहीं हो पाया है। 1. पार्श्वपुराण - भूधरदास, कलकत्ता, अधिकार ३ पृष्ठ 14-16 (चक्रवर्ती को सम्पदा का वर्णन) 2. वही अधिकार 5 पृष्ठ 41-42 (तीन लोक का वर्णन) 3. पावपुराण - पूधरदास, कलकत्ता, अधिकार 9 पृष्ठ 80-81
SR No.090268
Book TitleMahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Jain
PublisherVitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
Publication Year
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size9 MB
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