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________________ 184 महाकवि भूधरदास : (क) कथानक : एक दृष्टि पार्श्वपुराण के कथानक को निम्नलिखित बिन्दुओं को ध्यान में रखते हुए देखा जा सकता है - 1. सर्गानुसार कथासार 2. कथानक की सर्गबद्धता एवं छन्दबद्धता 3. कथाप्रवाह या सम्बन्धनिर्वाह 4. अन्विति एवं प्रभाव 5. महानता एवं पुराणसम्मतता 6. परम्परागतता एवं नवीन उद्भावनाएँ 7. प्रबन्धकाव्य की दृष्टि से कथानक पर विचार १. सर्गानुसार कथासार :- “पार्श्वपुराण” में पीठिका सहित नौ अधिकार (सर्ग) हैं। कवि ने सर्ग नाम न देकर अधिकार नाम दिया है । संक्षेप में अधिकारानुसार कथासार निम्नलिखित है : पीठिका :- सर्वप्रथम 40 छन्दों की पीठिका है, जिसमें पार्श्वनाथ, पंचपरमेष्ठी एवं जिनवाणी का स्तवन करते हुए अपनी लघुता एवं पार्श्वचरित्र की महत्ता बतलाई है । विपुलाचल पर्वत पर भगवान महावीर का समवशरण आता है। वनमाली राजगृही के राजा श्रेणिक को समवशरण के आने की सूचना देता है। राजा श्रेणिक प्रजा सहित समवशरण में जाकर गौतम गणधर से पार्श्वनाथ चरित्र सुनाने का अनुरोध करते हैं। गणधर कहते हैं : प्रथम अधिकार :- पोदनपुर के राजा अरविन्द के मंत्री विश्वभूति के दो पुत्र थे- बड़ा कमठ और छोटा मरूभूति । कमठ दुर्जन तथा मरुभूति सज्जन था। विश्वभूति के दीक्षा लेने के बाद राजा मरूभूति को मंत्री बना देता है। एक बार जब राजा मरूभूति मंत्री सहित शत्रु से युद्ध करने जाता है तब कमठ नगर में अपनी मनमानी करता है तथा मरूभूति की पत्नी के साथ दुराचार कर लेता है । जब राजा युद्ध से वापिस आते हैं तब उन्हें सर्व वृत्तान्त ज्ञात होता
SR No.090268
Book TitleMahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Jain
PublisherVitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
Publication Year
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size9 MB
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