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महाकवि भूधरदास :
10. हुक्का पच्चीसी या हुक्का निषेध चौपाई :- यह हुक्का अर्थात् धूम्रपान की बुराइयों को प्रतिपादित करने वाली कृति है । यह कृति प्रकाशित
और अप्रकाशित दोनों रूपों में उपलब्ध है । प्रकाशित कृति का नाम “हुक्का पच्चीसी" है तथा अप्रकाशित कृति का नाम "हुक्का निषेध चौपाई" - है। दोनों कृतियों में 23 छन्द समान हैं परन्तु हुक्का पच्चीसी में एक कवित्त छन्द गंगदत्त नामक कवि का तथा एक लावनी छन्द रूपचन्द नामक कवि का है। इन दोनों छन्दों में गंगदत्त और रूपचन्द्र का नामोल्लेख होने से यह स्पष्ट हो जाता है कि इन दोनों छन्दों को छोड़कर शेष 7 दोहे, 15 चौपाई और एक कवित्त कुल मिलाकर 23 छन्द ही भूधरदास द्वारा रचित हैं। हुक्का निषेध चौपाई में अन्य कवियों द्वारा रचित कुछ पदों को मिलाकर भूधरदास के मूल 23 पदों सहित 31 पद हैं जिसमें अन्तिम पद प्रशस्तिपरक है, जो निम्नलिखित है -
नंददास सुविनीत नर, पानीपथया जान ।
तिस निमित्त यह चौपाई, लिखी आगरे धान ॥ यह प्रशस्तिपरक पद हुक्का पच्चीसी में नहीं है। यह कृति आचार की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है।
11. बधाई :- कवि द्वारा रचित “ऋषभदेव" के न्हौन संस्कार की बधाई" नामक रचना प्रकाशित रूप में उपलब्ध है। इसमें पुत्र जन्म के अवसर पर नाभिराय को बधाई दी गई है तथा सद्य:प्रसूत बालक ऋषभदेव को सुमेरुपर्वत पर न्हवन कराते हुए देवों द्वारा महामनोहर रूप का एवं दृश्य का चित्र उपस्थित किया गया है। इसकी भाषा सौष्ठवयुक्त तथा गतिमय है । यह रचना विभिन्न पद संग्रहों में भी संग्रहीत है और पृथक् रूप से भी प्रकाशित है।
12. जकड़ी :- कवि द्वारा रचित्त “परमार्थ जकड़ी" या "भूधर कृत जकड़ी" नामक एक रचना प्रकाशित और अप्रकाशित दोनों ही रूपों में उपलब्ध 1. हुक्का पच्चीसी भूधरदास- प्रकाशक चन्द्रसेन जैन पंसारी, इटावा उत्तरप्रदेश 2. हुक्का निषेध चौपाई-राजस्थानी प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, शाखा बीकानेर के गुटका सं.6766 3. हुक्का निषेध चौपाई-राजस्थानी प्राच्य विद्या प्रतिष्यन, शाखा बीकानेर के गुटका सं.6766 4. ( क ) जैन पद संमह, तृतीय भाग - भूधरदास, प्रकाशक जैन पंथ रलाकर, बम्बई पद 31 (ख) जैन पद सागर भाग 1, पृष्ठ 187-188 श्री महावीरजी