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________________ 144 महाकवि पूधरदास : चर्चा 31- पाँचों इन्द्रियाँ और मन अपने-अपने योग्य विषय को ग्रहण करें। यह ग्रहण सामर्थ्य रूप घरू गुण किसका है, जीव का कहो तो मक्ति जीव कै बताओ, पुदगल का कहो तो मृतक के बताओ। दोनों का कहो तो केवली के बताओ ? चर्चा 32- केवली तीर्थकर के अष्ट प्रातिहार्य विर्षे अशोकवृक्ष कहा सो काहे का वृक्ष है ? चर्चा 33- समवसरण में तूप कहे तिनकी उच्चता तथा विस्तार क्या है ? चर्चा 34- कोई ऐसा कहे ..जब तीर्थंकर केवली की आयु मास बाकी रहे तब पुण्य पूरा हो जाय । समवसरण की रचना न रहे, बारह सभा विघट जांई, देवता प्रमुख पास होंइ सो चले जाइ प्रणाम कर नाहीं। यह बात क्योंकर है ? चर्चा 35- चौबीस तीर्थकर किस-किस आसन सौं मोक्ष गये ? चर्चा 36- केवली के प्रतिसमय असाधारण पुद्गल वर्गणा शरीर सौं बन्ध करै? यह क्षायिक लाभ हुआ । सिद्ध पर्याय वि क्षायिक लाभ का प्रसंग कैसे सम्भवै ? चर्चा 37- समवसरण में तीर्थंकर केवली कौन से आसन से रहे ? चर्चा 38- मोक्ष विष किंचिदून आकार चरमदेह सो कह्या...तिस किचून का क्या स्वरूप है ? चर्चा 39- संसार में समुद्घात बिना जीव छोटी-बड़ी देह के प्रमाण हैं। अनादिकाल सो कर्माधीन यूं ही चल्या आया है, सावरण दीपक की नाई। लोक प्रमाण असंख्यात प्रदेशी अपनी अवगाहना प्रमाण कभी हुआ नाहीं । कर्म के आवरण रहित मोक्ष में देहप्रमाण क्यूं रहा। लोक प्रमाण क्यूं न हुआ। चर्चा 40- लोक के अग्र ईषत्प्राग्भारनाम अष्टम पृथ्वी सुनी है तिसके मध्य छत्राकार सिद्धशिला है। सौ वह कैसे छत्र के आकार है अर उसका स्वरूप क्यों कर है ? चर्चा 41- राजू का प्रमाण असंख्यात जोजन का है, तिसके प्रमाण की गाथा इस ___भांति सुनी है तथाहि इस गाथा में यह अर्थ कैसे है ? चर्चा 42- अढाई द्वीप विधै कछुवा की टोटीवत् मोक्षमार्ग निरन्तर चले है ऐसी कहावत है इसका स्वरूप क्योंकर है ?
SR No.090268
Book TitleMahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Jain
PublisherVitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
Publication Year
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size9 MB
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