SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 172
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 143 एक समालोचनात्मक अध्ययन चर्चा 16- विद्यमान भरतखंड विधं पंचमकाल में सम्यग्दृष्टि जीव केतेक पाइए? चर्चा 17- परन्तु शास्त्र के विर्षे या बिना तौ कोई वस्तु न होई यात्रै सम्यक्त्व के बाह्य लक्षण शास्त्र विर्षे क्यों न होहिगे ? चर्चा 18- दशाध्याय सूत्र के नवमें अध्यायविर्षे दशपुरुष सम्यग्दृष्टि आदि परस्पर असंख्यात गुणी अधिक निर्जरा वाले कहे हैं। तिनका स्वरूप क्या चर्चा 19 केवलि समुद्घात के आठ समय हैं तिसविषै असनाड़ी के बाहिर के जीव के प्रदेश कौन से समय पाइये ? चर्चा AF समुद्घात केवली तो शास्त्रविर्षे प्रसिद्ध है। समुद्घात केवली की कथा बहुत प्रसिद्ध नाही। चर्चा 21- तेरह गुणठाणे केवली के एक सातावेदनीय का बन्ध कह्या सो समय स्थायी है । वेदनयी कर्म के बन्ध की उत्कृष्ट स्थिति तीस सागर की कही, जघन्य बारह मुहूर्त की कही, इह समय स्थायी कौन से स्थिति बन्ध का भेद है ? चर्चा 22- तेरहवें तथा चौदहवें गुणस्थान में पच्चासी प्रकृति की सत्ता है । तिनविर्षे उदय कौनसी प्रकृति का है ? चर्चा 23- तेरहवें गुणठाणे केती इक प्रकृति सत्ता विर्षे है, उदय बिना किसी ही प्रकृति का क्षय होता नाहीं, सो सत्ता तो संभवै उदय क्यूँ कर सम्भवै ? चर्चा 24- केवली परमौदारिक देह का धरनहारा है .तिस औदारिक शरीर की स्थिति कवलाहार बिना देशोन कोडि पूर्व है, सो काहे सों होई ? चर्चा 25- परमौदारिक देह का क्या स्वरूप है ? चर्चा 26- संहनन कौन-कौन जागै है, अर कौन जागै नाही ? चर्चा 27- तीर्थकर कवेली के छयालीस गुण कहे और सामान्य केवली के कितने होई ? चर्चा 28- जन्मातिशय के अनन्तबल और केवलज्ञान के समय अनन्तवीर्य का इन दोनों में भेद क्या है ? चर्चा 29- तीर्थकर केवली कै छयालीस अतिशय (गुण) विधें वाणी का प्रसंग तीन बार आया - । तिनमैं विशेष क्या ? चर्चा - समोसरण में केवली कहाँ तिष्ठै है ?
SR No.090268
Book TitleMahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Jain
PublisherVitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
Publication Year
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy