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महाकवि भूघरदास :
में अन्य भारतीय धर्मों की तरह अनेक भेद उपभेद बन गये थे। ' भक्ति आन्दोलन ने इभाव के कारण विभिन्न धर्मों में सासरिय समन्वय, प्रेम और भातृत्व भावना दृष्टिगोचर होती थी। मुगलकाल में सिक्ख धर्म का उदय हुआ था। वह इस समय अपनी प्रारम्भिक स्थिति में था । बौद्धधर्म की अवनति हो रही थी। वह हीनयान और महायान सम्प्रदायों में बँटकर अपना प्रभाव खो रहा था। कुछ प्रदेशों में जैनधर्म का अच्छा प्रभाव था, परन्तु वह भी दिगम्बर और श्वेताम्बर- दो सम्प्रदायों में विभक्त था। यद्यपि इन सम्प्रदायों के विभाजन का मुख्य आधार नग्नता और स्वस्त्रता ही थी, परन्तु और भी कई कारण थे । - इनके विभाजन के सम्बन्ध में भी अनेक मान्यताएँ हैं। 'इन दोनों सम्प्रदायों के अन्तर्गत अन्य अनेक उपसम्प्रदायों ने भी जन्म लिया । * दिगम्बर सम्प्रदाय में बीस पंथ अर्थात् भट्टारकवाद तथा तेरहपंथ अर्थात् अध्यात्मवाद आपस में टकरा रहे थे। उनके आचार विचारों में समानताएँ नहीं थीं।' श्वेताम्बर सम्प्रदाय में भी स्थानकवासी (दूँढिया) और मन्दिर मार्गी (मूर्तिपूजक) दो प्रमुख उपसम्प्रदाय हो गये थे। इस काल में कई विशेषताओं के कारण हिन्दूधर्म का स्वरूप प्राचीन वैदिकधर्म के स्वरूप से सर्वथा भिन्न हो गया था । इस प्रकार तत्कालीन धार्मिक परिस्थितियाँ भी सन्तोषप्रद नहीं थी । इसी सन्दर्भ में आचार्य परशुराम चतुर्वेदी का यह कथन भी उल्लेखनीय है -
"उस समय न केवल बौद्ध तथा जैन ही, अपितु स्वयं वैष्णव, शाक्त, शैव जैसे हिन्दू सम्प्रदायों ने भी अपने अपने भीतर अनेक मतभेदों को जन्म दे रखा था। इनमें से सबने वेदों को ही अपना अंतिम प्रमाण बना रखा था और उनमें से कतिपय उद्धरण लेकर तथा उन्हें वास्तविक प्रसंगों से पृथक् करके वे अपने अपने मतानुसार उन पर मनमाने अर्थों का आरोप करने लगे थे। इसके
1, हिन्दी साहित्य का बृहद इतिहास भाग 4 (भक्ति काल निर्गुण पक्ति) नागरी प्रचारिणी
सभा काशी सं. पं. परशुराम चतुर्वेदी पृष्ठ 37 - 52 2. जैनधर्म पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री पृष्ठ 310 - 311 चतुर्थ संस्करण 1 3. (क) कविवर बनारसीदास : व्यक्तित्व और कर्तृत्व- डॉ. रवीन्द्रकुमार जैन पृष्ठ 37-38 (ख) जैनधर्म पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री पृष्ठ 293 - 294
(ग) जैन साहित्य में विचार- पं.बेचरदास पृष्ठ 87-105 4. कविवर बनारसीदास : व्यक्तित्व और कर्तृत्व- डॉ.रवीन्द्रकुमार जैन पृष्ठ 5) 5. पंडित टोडरमल : व्यक्तित्व और कर्तृत्व पृष्ठ 17 से 20 तक