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________________ एक समालोचनात्मक अध्ययन 103 फिर से उदारता और विशालता का परिचय देना शुरु किया। दिल्ली दरबार में फिर से दशहरा व रक्षाबन्धन जोश के साथ मनाये जाने लगे। शाह आलम ने पूना के पेशवा को अपना वकील करार दिया। उसके पुत्र अकबरशाह ने राम मोहनराय को "राजा" का खिताब दिया । अन्तिम समाट बहादुरशाह (द्वितीय) हिन्दू मुस्लिम दोनों को एक दृष्टि से देखता था। इस प्रकार मुगलशासकों की भारतीय संस्कृति और हिन्दूधर्म के प्रति उपेक्षापूर्ण दृष्टि रही तथा उनके द्वारा हिन्दू धर्म को विनष्ट करने के लिए कोई प्रयल अवशेष नहीं रहा। हिन्दू धर्म में कर्मकाण्ड और आडम्बर घर कर गये थे । धार्मिक वातावरण संकीर्णता, साम्प्रदायिकता और असहिष्णुता से अनुप्राणित हो उठा था। धर्म और धार्मिक समाज में अद्भुत अभाव और शैथिल्य परिलक्षित होने लगा था।' 'व्रत, रोजा, नमाज, मूर्तिपूजा, मजार-पूजा, साम्प्रदायिक वेश भूषा आदि को विशेष बढ़ावा मिल रहा था। वास्तविकता एवं मौलिकता का दिवाला ही निकल गया तथा सन्त भी पुरानी लकीर के फकीर हो गये। व्यक्ति के भोग ने भगवान की दिनचर्या के बहाने एक आकर्षक रूप धारण कर लिया था। 4 मंदिरों में विलास के उपकरण इतनी प्रचुर मात्रा में एकत्र किए जाने लगे कि अवध का नवाब तक उनसे ईर्ष्या करने लगा एवं कुतुबशाह जैसा समाट उसका अनुसरण करना अपने गर्व की बात समझने लगा। इसका परिणाम यह हुआ कि मंदिरों में माधुर्यभाव प्रधान भक्ति के बहाने देवदासियों के साथ भी खुलकर भ्रष्टाचार होने लगा। तत्कालीन हिन्दू धर्म में अनेक मत-मतान्तर थे। वह वैष्णव, शैव और शाक्त - इन तीन मुख्य सम्प्रदायों में विभक्त होकर अनेक भेदों प्रभेदों के साथ गुजर रहा था । कबीर आदि सन्तों द्वारा प्रवर्तित धर्म भी थोड़े बहुत भेद के साथ चल रहा था। हिन्दू धर्म बहुदेववादी था और इस्लाम धर्म एकेश्वरवाद का पक्का समर्थक था, परन्तु फिर भी तत्कालीन भारत में प्रचलित इस्लाम धर्म 1, "भारत में अंग्रेजी राज” सुन्दरलाल प्रथम भाग पृष्ठ 98 2. हिन्दी साहित्य द्वितीय खण्ड सं.डॉ. धीरेन्द्र वर्मा पृष्ठ 71 3. रीतिकाव्य की भूमिका पूर्वार्द्ध डॉ. नगेन्द्र पृष्ठ 20 4. हिन्दी साहित्य कोश प्रथम भाग, सं.डॉ. धीरेन्द्र वर्मा पृष्ठ 500 5. रीतिकाव्य की भूमिका पूर्वार्ट डॉ. नगेन्द्र पृष्ठ 17
SR No.090268
Book TitleMahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Jain
PublisherVitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
Publication Year
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size9 MB
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