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________________ 97 एक समालोचनात्मक अध्ययन (ख) सामाजिक एवं आर्थिक परिस्थितियाँ मध्ययुग का समाज सामंतवादी पद्धति पर आधारित था; जिसमें सम्राट शीर्ष पर था। उसके बाद उच्च वर्ग के सभी व्यक्ति, जिनमें सामन्त एवं उच्च पदासीन व्यक्ति आते थे। सामन्तों का जीवन सपाट के अनुरूप ही होता था । सम्पूर्ण देश में मनसबदार अमीर और सामन्तों का जाल फैला हुआ था। ऐश्वर्य लोलुपता की प्रलिया में अमीर-उमग तश्या ग़ज़ा पहाराजाओं का जीवन सुख एवं विलास के विविध उपकरण जुटाने में ही व्यतीत हो रहा था। बादशाह का अपना जीवन पूर्णत: अनियन्त्रित और विलासपूर्ण होता था और अमीर-उमरा लोग इस सम्बन्ध में अपने मतलब के अनुसार बादशाह का अनुकरण करना अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते थे।' तत्कालीन सामाजिक जीवन दो तबकों में बँटा हआ था। एक तबका राजा, शासक, अमले कारिन्दे या दरबारियों का था और दूसरा तबका जनसाधारण का। शाही दरबार सुख, समृद्धि, सभ्यता और विलासिता के केन्द्र थे; परन्तु उसके बाहर का जीवन दुर्दशाग्रस्त, असन्तोषजनक, दयनीय एवं विपत्तिजनक था। उस समय साधारण जनता की दशा बड़ी शोचनीय थी। उसे पेट भरने को रोटी और तन ढकने को कपड़ा भी कठिनता से प्राप्त होता था । ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि मुगलकालीन समाज का सम्पन्न वर्ग, निम्न वर्ग का शोषण करता था। उसे इस नीचे वाले तबके के लिए कोई दर्द नहीं था। ठीक उसी प्रकार जनता के हृदय में भी राजाओं के प्रति कोई सहानुभूति नहीं थी। नैतिकता की दृष्टि से जनसाधारण का चरित्र राजा, सामन्तों, अमले कारिन्दे तथा दरबारियों के चरित्र से अच्छा था। इसीलिए नैतिकता के अध:पतन के समय में भी उन पर भक्तियुग का प्रभाव दिखाई पड़ जाता है। यद्यपि जनसाधारण में भी विलासिता की अग्नि सुलगने लगी थी, परन्तु फिर भी वह भीषण ज्वाला का रूप नहीं ले सकी। मध्ययुगीन समाज में वर्णव्यवस्था ऊँच नीच का भेदभाव, जातिप्रथा आदि दिखाई देती है। इससे न केवल हिन्दू अपितु मुसलमान भी अछूते न रह सके।' 1, भारतीय संस्कृति और उसका विकास--- डॉ. सत्यकेतु विद्यालंकार, पृष्ठ 498 2. भारतीय संस्कृति और उसका इतिहास-- डॉ, सत्यकेतु विद्यालंकार पृष्ठ 499 3. हिन्दी लिटरेचर- डॉ. रामअवध द्विवेदी पृष्ठ 84 4. भारतीय समाज और संस्कृति- डॉ. कैलाश शर्मा पृष्ठ 451- 470
SR No.090268
Book TitleMahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Jain
PublisherVitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
Publication Year
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size9 MB
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