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मदनपराजय स्थापना, परिहारविशुद्धि, सुक्ष्मसाम्पराय और यथाख्यातरूपी पांच चारित्रवीरोंके प्रहारसे उस प्रकृति समूहको निःशेष कर दिया। इसके पश्चात् उसने मोहमल्लपर प्रहार किया और वह मूच्छित होकर पृथ्वीपर गिर पड़ा।
कुछ देरके पश्चात् मोह पुनः चैतन्य हुआ और अनाचार खड्ग हाथमें लेकर क्रोधावेशमें जैसेही केवलज्ञानवीरके सामने आया वह अनु म्पा-फाल हाथ में लेकर मोहके सामने खड़ा हो गया और निर्ममत्व मुद्गरसे उसके सिरपर जोरका प्रहार दे मारा ! मोन मुद्गरके इस प्रहारको सहन नहीं कर सका। वह इस प्रहारसे बुरी तरह घायल हुआ और चिल्लाकर पृथ्वीपर गिर पड़ा।
इस प्रकार प्रबल प्रहारके कारण जब मोह लड़खड़ाकर पृथ्वीपर गिर पड़ा तो बन्दी बहिरात्मा इस घटनाको सुनानेके लिए कामके पास पहुँचा। बन्दीने वहाँ पहुँचकर उसे प्रणाम किया और निवेदन करने लगा-महाराज त्रैलोक्यके लिए शल्यस्वरूप मोहका सर्वस्व भंग हो गया है--उनकी जीवन-लीला समाप्त हो चुकी है और जिनराजकी सेनाने अपनी समस्त सेनाका विध्वंस कर दिया है। इसलिए इस समय आपको यह अवसर टालकर अन्यत्र चले जाना चाहिए ।
बन्दी बहिरात्माकी बात सुनकर काम तो चुप रहा; पर रतिसे नहीं रहा गया। वह कहने लगी- स्वामिन् बन्दी ठीक तो कह रहे हैं। इस समय प्रापको यहांसे चल देनेका ही कोई उपाय करना चाहिए और इस प्रकार प्रस्थान कर देनेका परिणाम शुभ ही होगा। इसलिए आप झूठा अभिमान छोड़िए और यहाँसे प्रस्थान कर दीजिए।
रतिकी बात सुनकर प्रीति कहने लगी-सखि, व्यर्थ क्यों प्रलाप करती हो? यह महामूर्ख, पापी और नितान्त हठी जीव है । यह हमलोगों की बात नहीं सुनेंगे । क्योंकि