SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 501
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १९४] क्षपणासार [गाया २२६ __भगवत् अहत्परमेष्ठी स्वयं पदार्थज्ञान में स्थित है, तथापि पराथं प्रवृत्ति स्वभावसे' निकटभन्यों के हित के लिए धर्मामृतको वृष्टि करते हुए अबुद्धिपूर्वक सर्वप्राणियों के उद्धारको भावनाके अतिशयसे प्रेरित होकर भव्यजनोंके पुण्यके कारण तथा शेष कर्मफलके सम्बन्ध से बिहार करते हैं। प्रतिसमय कर्मप्रदेशोंकी असंख्यातगुणश्रेणीनिर्जरा करते हुए धर्मतीथं प्रवर्तन के लिए यथोचित धर्मक्षेत्रमें अतिशयी विभूतिके साथ प्रशस्तविहायोगति नामकर्म के कारण तथा स्वभावसे बिहार करते हैं। शङ्का- अहंत भगवान्का व्यापार अर्थात् अतिशयबिहार अभिसन्धिपूर्वक (इरादेसे ) होता है, अन्यथा यत्किचनकरित्व (यद्वा-तद्वा कुछ भी किये जानेपर) के दोष (अनुषं जनात्) का प्रसंग आ जावेगा। यदि अभिसंधि पूर्वक माना जाता है तो इच्छा होनेसे असर्वज्ञ हो जावेंगे जो इष्ट नहीं है। समाधान--ऐसा नहीं है, क्योंकि कल्पतरुके समान इच्छाके बिना भी केवली के परार्थको सामर्थ्य उत्पन्न होतो है अथवा दोषकके समान । जैसे दीपक कृपालु होकर स्व और परके अन्धकारको दूर नहीं करता, किन्तु स्वभावसे हो स्वपरसम्बन्धी अन्वकारको दूर करता है इसमें कुछ भी बाधा नहीं आती है । कहा भी है "जगते त्वया हितमवादि न च विदिषा जगद्गुरो । कल्पतरुरनभिसन्धिरपि प्रणयिभ्य ईप्सितफलानि यच्छति ।। *कायवाक्य मनसा प्रवृत्तयो नामवंस्तव मुनेश्चिकीर्षया । नासमोक्ष्य भवतः प्रवृत्तयो धीर ! तावकमचिन्त्यमीहितम् ।। विवक्षासन्नि धानेऽपि वाग्वृत्तिर्जातु नेक्ष्यते । वाञ्छन्तो वा न वक्तारः शास्त्राणां मन्दबुद्धयः ।।" "हे जगद्गुरो ! आपके द्वारा जगतका कल्याण विवादका विषय नहीं है, क्योंकि इच्छा रखने वाले प्राणियोंके लिए कल्पवृक्ष बिना इच्छाके ही वांछितफलों को १. "परार्थप्रतिस्वभाव्यात्' (जय धवल मूल पृष्ठ २२७१) २. "अबुद्धिपूर्वमेव सर्वसत्त्वाभ्युद्धार भावनातिशय प्रेरितः" (ज. प. मूल पृष्ठ २२७१) ३. प्रवचनसारगाथा ४४-४५ । ४. स्वयंभूस्तोत्र श्लोक ७४ ।
SR No.090261
Book TitleLabdhisar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages644
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Karma, Philosophy, & Religion
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy