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________________ गाश १०८] क्षपणासार [१०३ कम है, इससे द्वितीयकृष्टिका अन्तर अनन्तगुणा है । इसप्रकार अनन्त र अनन्तररूपसे जाकर अन्तिमकृष्टिअन्त र अनन्त गुणा है । लोभकषायकी ही द्वितीयसग्रहकृष्टि में प्रथमकृष्टि अन्तर अनन्तगुणा है । इस प्रकार अनन्तर-अनन्तररूपसे अन्तिमष्टि अन्तरतक अनन्तगुणा अन्तर जानना चाहिए। पुनः लोभकषायकीही ततीयसंग्रहकष्टि में प्रथमकृष्टि अन्तर अनन्तगुणा है। ऐसे अनन्तर-अनन्तररूपसे जाकर अन्तिमकृष्टि अन्तरः अनन्तगुणा है। यहांसे आगे मायाफपायको प्रवनसंग्रहकृति प्रथम कृष्टि अन्तर अनन्तगुणा है । इसप्रकार अनन्तर अनन्तररूपसे मायाकषायकी भी तीनों संग्रहकृष्टियोंके कृष्टि-अन्तर यथाक्रमसे अनन्तगुणित श्रेणीके द्वारा ले जाना चाहिए । यहांसे आगे मानकषायकी प्रथमसंग्रहकृष्टि में प्रथमकृष्टि अन्तर अनन्त गुणा है । इसप्रकार मानकषायकी भी तीनों संग्रहकृष्टियोंके कृष्टिमातर यथाक्रमसे. अनन्तगुणित श्रेणीके द्वारा ले जाना चाहिए । यहाँसे आगे क्रोधकषायकी प्रथमसंग्रहकृष्टि में प्रथमकृष्टि-अन्तर अनन्तगुणा है । इसप्रकार क्रोधकषायकी भी तीनों सग्रहकृष्टियोंके अन्तर यथाक्रमसे अन्तिम-अस्तरपर्यन्त अनन्तगुणित श्रेणीके द्वारा ले जाना चाहिए । उससे अर्थात् स्वस्थानगुणकारोंके अन्तिमगुणकारसे लोभकषायकी प्रथमसंग्रहकृष्टि का अन्तर अनन्तगुणा है । इससे द्वितीय संग्रहकृष्टि-अन्तर अनन्स गुणा है और इससे तृतोयसंग्रहकृष्टि अन्तर अनन्तगुणा है । लोभ व मायाकषायसम्बन्धी अन्तर अनन्तगुणा है । मायाकषायका प्रथमसंग्रहकृष्टि-अन्तर अनन्तगुणा है, इससे द्वितीयसग्रहकृष्टिअन्तर अनन्तगुणा है, इससे तृतीयसंग्रहकृष्टि-अन्तर अनन्तगुणा है । मायाकषायसे मानकषायका. अन्तर अनन्तगुणा है ।मानकषायका प्रथमसंग्रहकष्टि-अन्तर अनन्तगुणा है, इससे द्वितीयसंग्रहकृष्टि-अन्तर अनन्तगुणा है, इससे तृतीयसंग्रहकृष्टि-अन्तर अनन्त गुणा है । मानकषाय और क्रोधकषायका अन्तर अनन्तगुणा है । क्रोधकषायका प्रथमसंग्रहकष्टिअन्तर अनन्तगुणा है, इससे द्वितोयसंग्रहकष्टि-अन्तर अनन्तगुणा है और इससे तृतीयसंग्रहकष्टि-अन्तर अनन्तगुणा है । क्रोधकषायको अन्तिमष्टिसे लोभकषायके अपूर्वस्पघंकोंकी आदिवर्गणाका अन्तर अनन्तगुणा है।' १. क. पा. सुत्त पृ.८०१तक ।
SR No.090261
Book TitleLabdhisar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages644
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Karma, Philosophy, & Religion
File Size16 MB
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