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क्षपणासाय
[ गाथा १०८
गुणकारसम्बन्धी सन्दृष्टि इसप्रकार है
नाम
लोभ
माया
मान
क्रोध
तृतोयसंग्रहकृष्टिमें
५१२ । ६५ ८४६५ = २०४८ ४२ = १६ २५६ | ६५ = २ | ६५ = १०२४ ४२ = ८
६५ = १ ! ६५ = ५१२ ४२ = ४
स्वस्थान गुणकार । १२५
परस्थानगुणकार ४२=६४ | ४२५१२
४२ = ४०६६ | ४२=३२७६८
द्वितीयसंग्रहकृष्टमें ६४ । ३२७६८ | ६५ = २५६ ] ४२ =
६५ = १२८ स्वस्थानगुणकार
| १६ । ८१९२ ६५ = ६४ | ६५ == ३२७६८ परस्थानगुणकार [४२=३२ ४२-२५६ ४२२०४८ | ४२=१६३८४
प्रथमसंग्रहकृष्ट में स्वस्थानगुणकार
४०६६ २०४८ १०२४
६५ = ३२ । ६५=१६३८४
६५%= ८१६२ | ६५ - ८ |६५= ४०६६
अपूर्वस्पर्धक वर्गणा गुण
परस्थान
परस्थानगुणकार
1४२-१२८ । ४२= १०२४ | ४२८-८१९२४२-६५ - |
नोट-उपर्युक्त सन्तुष्टि में पाणट्ठीको सहनानी ६५-- और बादालको सहधानी ४२= है तथा इनके आगे जो अंक हैं उतने का इनमें मुणकार जानना ।
अंकसन्दृष्टिके द्वारा ११ परस्थान गुणकारोंको १० बार दुगुणा करनेपर ३२७६८ गुणा बादाल प्रमाण होता है और इससे उस गुणकारका प्रमाण अनन्तगुणा जानना जिस गुणकारके द्वारा क्रोधकषायको तृतीयसंग्रहकृष्टिको अन्तिमसंग्रहकष्टि को गुणा करनेसे लोभकषायके अपूर्वस्पर्धककी प्रथमवर्गणाके अनुभागसम्बन्धी अविभागप्रतिच्छेदोंका प्रमाण होता है । उस गुणकारको सन्दृष्टि ६५= ४२ (पण्णट्ठीx बादाल) है। इसप्रकार गुणकारों का प्रमाण कहा, उसका स्पष्टीकरण करते हैं- अंकसंदृष्टि में जैसे लोभकषायकी प्रथमसंग्रहकृष्टिसम्बन्धी जघन्यकृष्टि में जो अनुभाग पाया जाता है, उससे दुगुणा द्वितीयकृष्टि में तथा उससे चारगुणा तृतीयकृष्टिमें, उससे आठगुणा अन्तिमकृष्टि में पाया जाता है । इससे ३२ गुणित बादाल गुणा (३२ x बादाल) लोभकषायकी