SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 401
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सपणासार [गाया १०३-१०४ विशेषार्थ-डेढ गुणहानि समय प्रबद्धप्रमाण सत्ता द्रव्य है, इसको अपकर्षणभागहारसे भाग देनेपर जो लब्ध आवे वह अपकर्षित द्रध्य है । उस अपकर्षितद्रव्यको पल्योएमके असंख्यातवेंभागसे भाजित करने पर जो द्रव्य प्राप्त हो वह तो पूर्व और अपूर्वस्पर्धकों मैं निक्षिप्त किया जाता है । शेष बहुभागद्रव्य से बादरकृष्टियां निर्वतित होती हैं इसप्रकार अपकषितद्रव्यका विभाजन होता है। किट्टीमो इगिफड्ढयवग्गण संखाणगांतभागो दु । एक्केक्कम्हि कसाए तियंति श्रहना अगांताबा ॥१०३॥४६४॥ अर्थ-कृष्टियों की संख्या एक स्पर्धकको वर्गणाओंके अनन्तवें भाग है'। एकएक कषायकी तीन-तीन कृष्टियां अथवा अनन्त कृष्टियां है। विशेषार्थ-चारों कषायोंकी कृष्टियां गणनासे एकस्पर्धकको वर्गणाओंकी संख्याको अनन्तकाभाग देनेसे जो लब्ध प्राप्त हो उतनी हैं अर्थात् अनन्त हैं, किन्तु संग्रहकी अपेक्षा संग्रहकृष्टि १२ हैं, क्योंकि क्रोघ-मान-माया-लोभ इन चारों कषायों में से प्रत्येकको तीन-तीन संग्रक्रष्टियां हैं। एक-एक ग्रह कृष्टिको अनन्त अवय वकृष्टियां होती हैं इसकारणसे "अथवा अनन्त होती है" ऐसा कहा गया है। अकसायकसायाणं दव्धस्स विभंज जहा होदी। किद्विस्स तहेव हवे कोहो अकसायपडिबद्धं ॥१०४॥४६५।। अर्थ-अकषाय अर्थात् नोकषाय और कषायमें द्रव्य (समयप्रबद्ध) का जिस प्रकार विभाजन होता है उसीप्रकार कृष्टियों में भी द्रव्यका विभाजन होता है, किन्तु अकषायका द्रव्य शोधकृष्टि में सम्मिलित होता है। १. धवल पु०६ पृष्ठ ३७५ । २. बल पु.६ पष्ठ ३७६ । "ताश्च किट्टयः परमार्थतोऽनन्तापि स्थुरजाति भेदापेक्षया द्वादश कल्प्यन्ते, एककस्य कषायस्य तिस्रस्तिस्रः ।" (जयषवल पु०६ पृष्ठ ३८१ टि.नं.५) "एक्के कम्मि कसाए तिष्णि तिणि किट्टीओ त्ति एवं तिगतिग" क. पा. सुत्त पृष्ठ ८०६ सूत्र ७१४। ३. "एक्के किस्से संगहकिट्टीए अणंताओ किट्टीओ त्ति एदेण अघवा अणतामओ जादा । (क. पा. सुत्त पृष्ठ ८०६ सूत्र ७१५ ।
SR No.090261
Book TitleLabdhisar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages644
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Karma, Philosophy, & Religion
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy