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विषय
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दर्शन मोह की क्षपणा करने वाले स्थापकनिष्ठापक के सम्बन्ध में विशेषा कथन नान्धी को विसंयोजना सम्बन्धी कथन संयोजना के धनन्तर होने वाले कार्य मिश्रद्धि की चरमफालिका
शो में नि
द्रव्य के क्रमसहित प्रमाणादि का कथन अनुभाग अपवर्तन का निर्देश
सम्यक्त्व के पाठ वर्ष प्रमाण स्थिति सत्त्व रहने पर होने वाले कार्य विशेष..
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साम्प्रतिक गुण श्रोणि के स्वरूप निर्देश पूर्वक
चरमफालि का पतनकाल कृतकृत्यवेदक सम्यक्स्व के प्रारम्भ समय में अवस्था विशेष की प्ररूपणा
प्रधःकरण के प्रथम समय से कृतकृत्य वेदक के चरम समय पर्यन्त लेश्या परिवर्तन होते पथवा न होने सम्बन्धी कथन.
कृतकृत्यवेदक काल में पायी जाने वाली क्रिया विशेष
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अल्पबहुत्व के कथम की प्रतिज्ञा अल्पबहुत्व के ३३ स्थानों का कथत शायिक सम्यक्त्व के कारण गुरण-भवसीमा. क्षायिक लब्धित्व मादि का कथनचारित्रलब्धि प्रधिकार
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देशसंयम और सकलसंयम लब्धि की प्ररूपणा. faranदृष्टि के देशसंयम की प्राप्ति के पूर्व पायी जाने वाली सामग्री का कथन... उपशम सम्यक्त्व के साथ देशसंयम को ग्रहण करने बाले जीव का कार्य
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[मिध्यादृष्टि जीव के वेदक सम्यक्त्व के साथ देशचारित्र ग्रहण के समय होने वाली विशेषता देशयम की प्राप्ति के समय से गुण गि रूप कार्य विशेष
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... १२२
घाठ वर्ष की स्थिति के बाद होने वाले कार्य विशेष १२२ श्रमि काण्डक का विधान
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देशसंयम के जघन्य व उत्कृष्ट रूप से प्रतिपासादि तीन भेदों में कौन किसमें है
१२९ देशसंयम के उक्त प्रतिपातादि भेदों में स्वामित्व का निर्देश
-१३१: सकलचारित्र की प्ररूपणा का प्रारम्भ
वेदक सम्यक्त्व के योग्य मिथ्यात्वी मावि जीव के सकलसंगम ग्रहण समय में होने वाली विशेषता १३२ देशसंयम के समान सकलसंयम में होने वाली प्रक्रिया विशेष का निर्देश
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विषय
देशसंयम के कार्य विशेष का कथन
प्रथाप्रवृत्तसंयत के काल में होने वाले कार्य विशेष का स्पष्टोकरण
अंधाप्रवृत्तसंयत के गुणने रिंग द्रव्य की प्ररूपणां"
की प्रतिपूर्वक अल्पबहुत्व का कथन देशसंयम को जघन्य उत्कृष्टलब्धि के साथ उसके अस्पबहुत्व का कथन
'जघन्य देशसंयम के प्रतिभागी प्रतिच्छेदों के प्रम का कथन एवं उक्त संयम के भेदों व उसमें अन्तर का निर्देश
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सकलसंयम सम्बन्धी प्रतिपातादि भेदों को बताते हुए प्रतिपाद भेद स्थानों का कथन १४१ प्रतिपद्यमान स्थानों का कथन अनुभम स्थानों का कथन
१४३ सूक्ष्म साम्पराय व यथाख्यातसंयम स्थान प्रतिशतादि स्थानों का विशेष कथन
१४४ :
जघन्यसंयत के विशुद्धि सम्बन्धी अविभाग प्रतिच्छेदों की संख्या
चारित्रमोहनीय उपशमनाधिकार
उपशान्त कषाय वीतरागियों को नमन करके उपशमचारित्र का विधान प्ररूपण
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१४४ : दर्शनमोह के उपशमका निर्देश, उपशमर्थ सि पर प्रारोहण की योग्यता का निर्देश तथा दर्शन१४६ मोहोपशम में गुपसंक्रमण के प्रभाव का प्रतिपादन १७०