________________
लब्धिसार विषयानुक्रमणिका
प ष्ठ
विषय
१ गुण रिंग निर्जराका कथन
गुरण सक्रमण की कथन
१
स्थिति काण्डक का स्वरूप
४स्थत काण्ड घास की विशेषताएं
विषय
मंगलाचरण प्रथमोपशम सम्यवश्थ
प्रथमोपशम सम्यक्त्व की प्राप्ति के योग्य जीव
● पंपलब्धियों का नाम निर्देश
क्षयोपशमलब्धि-विशु खिलब्धि का स्वरूप
देशनालब्धि का स्वरूप
प्रायोग्यलब्धिका स्वरूप
प्रथमोपशम सम्यक्त्व ग्रहण की योग्यता का विवेचन प्रथमोपशम सम्यक्त्वाभिमुख स्थितिबन्धपरिणाम प्रायोग्य लब्धिकास में प्रकृति बंधापसरण
स्थिति अनुभागबन्ध का कथन सम्यक्त्वाभिमुख मिथ्यादृष्टि के प्रदेशविभाग
महाकों में कथित अपुनरुक्त प्रकृतियां प्रथमोपशम सम्यक्त्वाभिमुख विशुद्ध मिथ्यादृष्टि के उदययोग्य प्रकृति सम्बन्धी स्थिति अनुभाग तथा प्रदेशों की उदम उदीरणा का कथन प्रकृत सत्य के सम्बन्ध में विशेष विचार
सत्कर्म प्रकृतियों के स्थित्यादि सत्कर्म कथन
पूर्वक प्रायोग्यलब्धि का उपसंहार कराल का विवेचन
अधःप्रवृत्तादि तीन करणों का स्वरूप श्रधःकरण का विशेष विवेचन
पूर्वकरण का विशेष विचार
गुणी का स्वरूप निर्देश
निक्षेप व प्रतिस्थापना का विशेष कथन
पृष्ठ
५८
६१
६२
६३
५. अनुभाग काण्डक घात श्रादि का कथन
६४
६ अनिवृत्तिकरण का स्वरूप और उसमें होने वाले कार्य ६७
७
अन्तरकरण सम्बन्धी कथन
६८
७१
चौंतीस प्रकृति बन्षा पसरण का प्रतिपादन चारोंगतियों में पाये जाने वाले बग्धा पसरण गतियोंके प्राचार से बध्यमान प्रकृतियों का प्रतिपादन १७
१९
व्याघातापेक्षा उत्कृष्ट प्रतिस्थापना उत्कर्षण सम्बन्धी विशेष निर्देश
अन्तरकरण के पश्चात् होने वाले विशेष कार्य ९प्रथमोपशम सम्यक्त्व के ग्रहणकाल में होने वाले
विशेष कार्य
.
६
१०
१४
२०
२१
२४
२५
३०
४१
मिध्यात्व को तीन भागों में विभक्त करने की विधि गुरंग संक्रमण की सीमा और विध्यातसंक्रम का
२७
२८
२९ दर्शन मोहनीय कर्म के श्रन्तरायाम पूरण का विधान
सम्यक्त्व प्रकृति के उदय का कार्य
मिश्र प्रकृति के उदय का कार्य
मिध्यात्व प्रकृति के उदय का कार्य प्रथमोपग्राम सम्यक्त्व चूलिका
क्षायिक सम्यवत्व प्ररूपणासायिक सम्यक्त्वोत्पत्ति की सामग्री
४५
४६
४९
५.०
प्रारम्भ
अनुभाग काण्डकोल्कीरण कालादि २५ पदों का अल्बहुत्य
प्रथमोपशम ग्रहणकाल में स्थिति सत्त्व का कथन देशसंगम व सकलसंयम के साथ प्रथमोपशम सम्यक्त्व ग्रहण करने वाले जीव के स्थिति सस्व
दर्शन मोहोपशम काल में होने वाली विशेषता सासादन का स्वरूप एवं काल का कथन उपशम सम्यक्त्व सम्बन्धी प्रारम्भिक सामग्री उपशम सम्यक्त्व काल के अनन्तर उदययोग्य कर्म का विशेष कथन
७२
७३
७४
७५
५०
५०
५१
८२
८३
Pos
८७
८७
९०
९२
९६
९८
१०४