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________________ ! अथ वचन कोश लिखते मंगलाचरण वचन - कोश (बुलालोचन्यकृतं) हा " समयसार के पथ नमू एकदेव गुरुच्यारि । परमेष्टि तिनियों कहें, पंच ग्यान गुणधार ॥११॥ वररण गंध काया नहीं, अविनाशी श्रविकार । १. श्रविनाथ स्तन गुरु लघु गुण विनु देव यह नमीं सिद्ध प्रवतार ।।२।। श्री जिनराज अनंत गुण, जगत परम गुरु एव । अध ऊरष मधिलोक के, इन्द्र करें शत सेव ||३| पंचाचारि पनि सहत परीसह घोर ► श्री प्राचार्य धर्मगुरू, नमो नमो करिजोर ॥४ ध्यायक जिनवानी विमल, जगि अध्यायक नाम । ज्ञान दिवाकर परम गुरु, ताके पद परणाम ||५|| बीस प्राठ जे मूलगुण, साधे मन वच काय | सर्व साथ हैं कर्म ठाणु, वंदों शीस नवाय ॥६॥ चौपाई पंच परम पद मुक्ति महेश ज्ञायक शुभग परम योगेश || तासु चरण नमि शुर्बाह वर्मों। जिन चौवीस तवें पद नमुं ॥७॥ बंदों प्रथम श्री श्रादि जिनंद नाभिराय मरुदेव्यानंद || 1 मनुष पांचसे ऊंची काय | जन्म कल्याणक बिनता थाय ॥ ८॥
SR No.090254
Book TitleKavivar Bulakhichand Bulakidas Evan Hemraj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1983
Total Pages287
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & History
File Size4 MB
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