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फदिवर नुलो चन्द बुलाकोदास एवं हेमराज मारण ताडन प्रादि क्रियाओं से कवि दूर रहा है । अधिकांश मंत्र छोटे हैं एवं नमस्कार मंत्र पर प्राधारित है । कवि ने मन्त्रों का पद्यों में महात्म्य लिखकर उनके महत्व में वृद्धि की है तथा उन्हें लोकप्रियता प्रदान की है । कवि ने मंत्रों का वर्णन पदस्थ ध्यान के अन्तर्गत किया है तथा मंत्रों को मन निरोष का उपाय बताया है ।
अष्ट सिद्धि नौ निधि सवन, मन निरोध कोगेह। वरन्यो ध्यान पदस्थ पह, घटि चित्त परण नेह ||६८11८२॥
इस प्रकार बुलाखीचन्द द्वारा निबद्ध बचनकोश हिन्दी की एक महत्त्वपूर्ण कृति है जो अभी तक साहित्यिक क्षेत्र में पूर्ण अज्ञात थी । राजस्थान के अन्य भण्डारों में इसकी निम्न पाण्डुलिपियां सुरक्षित हैं
१) क प्रति-पत्र संहना १५७ । लेखनकाल संवत् १८५३ चैत्र बाँद ११ मगुवार । प्राप्ति स्थान-शास्त्र भण्डार दि. जैन तेरहपंथ मन्दिर (बडा) जयपुर ग्रन्थ समाप्ति के पश्चात् निम्न पंक्ति और लिखी हुई है- "ग्रन्थ प्रतापगढ तेरापंथी पामनाय रो" । वेष्टन संख्या ।१६७० ।
(२१ ख प्रति- पत्र संख्या २५२ । भा० १५४४ इञ्च । लेखनकाल ४ | प्राप्ति स्थान-दि जैन मन्दिर श्री महावीर स्वामी बन्दी (राज.) वेष्टन संख्या १
(३) ग प्रति--- पत्र संख्या २८२ । या०६-४ इञ्च । लेखनकाल-- संवत् १८५६ । प्राप्ति स्थान–दि जैन मन्दिर कोटढियों का डूगरपुर ।