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________________ कविवर बुलाखीचन्द समीक्षात्मक अध्ययन - बूलालीचन्द महाकषि बनारसीदास के उत्तरकालीन कवि थे । नागरा से उनका विशेष सम्बन्ध अ | लेकिन काव्य के अध्ययन के पश्चात् ऐसे लगने लगता है कि कबि पर बनारसीदास का कोई प्रभाव नहीं रहा । वयनकोश संग्रह ग्रंथ है । इसमें पुराण, इतिहास, कथा तथा सिद्धन्तों का मच्छा वर्णन हुअा है । कवि सीधे सादे शब्दों में अपनी गत पाटको ब चाना चाहता है इसमें उसे बार कुछ सफलता भी मिली है। लेकिन यह भी सही है कि वर्तमान शताब्दि में भी विद्वानों का ध्यान उसकी ओर नहीं गया । यद्यपि बचन कोश की चार पाण्डुलिपियों की खोज की जा चुकी है इसलिए यह तो नहीं कहा जा सकता कि ३०० वर्षों में किसी ने उसे मान्यता नहीं दी प्रा खिर मार पाण्डुलिपियां भी श्रावकों के ही प्राग्रह से लिखी गयी होंगी फिर भी कवि समाज द्वारा उपेक्षित ही बना रहा इस कथन मैं पर्याप्त सत्यता है । कनि स्वयमशिनिक की । यह पारी को सच खं अक्षय को समझता था इसलिये उसने अपने कोश में कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं का वर्णन बडी ही पतुरतः से प्रस्तुत किया है। उसने वचनकोशा का प्रारम्भ २४ तीर्थकरों के स्तवन से किया है यह स्तवन एक दो पद्यों का नहीं है किन्तु प्रत्येक तीर्थकर का उसने मंक्षिप्त एवं मधुर परिचय दिया है । जो पौगणिक के साथ २ कहीं २ ऐतिहासिक बन गया है । प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव के पांचों कल्याणकों के दर्शन के अंतर्गत उसने चारों ही अनुयोगों का वर्णन कर डाला है जिसको पढ़ने से पाठक ऊबता नहीं है किन्तु चि पूर्वक आगे बढ़ता चला जाता है । कभी वह अपने विषय को गध में प्रस्तुत करता है तो कभी पद्म में जिससे पाठक चिपूर्वक पंथ को पढ़ता चला जाये। वास्तव में दुलाखीचन्द अपने समय का अच्छा कवि था। वचनकोश में जैमवाल जैन जाति की उत्पत्ति का इतिहास, उमी के अन्तर्गत भगवान महावीर का समबन्गा सहित जैसलमेर पाना, जम्बू स्वामी का मथुरा के उद्यान में नौवल्य एवं नियमित होना, काष्ठासंघ की उत्पत्ति, अग्रवाल जाति की उत्पत्ति के साथ अग्रवाल जैन शाति का इतिहास प्रादि कुछ ऐतिहासिक घटनाओं का भी कवि ने वर्णन किया है । जिससे ज्ञात होता है कि स्वयं बुलाखीचन्द इतिहास प्रेमी था। वह जैसवाल जैन था इस लिये जैसवाल जाति का जो इतिहास लिखा है वह उस समय की मान्यता के आधार पर लिखा गया है। महावीर
SR No.090254
Book TitleKavivar Bulakhichand Bulakidas Evan Hemraj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1983
Total Pages287
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & History
File Size4 MB
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