SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 258
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रवचनसार भाषा (पद्य) रचयिता - पाण्डे हेमराज प्रण प्रवचनसार को सिते । छप्पय स्वयं सिद्धि करतार करें निज करम सरम निषि । श्राप कारण स्वरूप होय साधन सार्धं विषि ।। संप्रदा घरँ ग्रापको ग्राफ समय श्रपाराय आप आपकों कर थिरप्यं ।। अधकरण होय प्राधार निज बरते पूरण ब्रह्म पर । विधि कारिक मय विधि रहित विविध येक पजर अमर ॥१॥ दोहा महातत्व महनीय मह महाषाम गुणधाम । चिदानंद परमात्मा, बन्दु रमता राम ॥२॥ कुनय दमन सुबरनि प्रवनि रमिनि स्यात पद शुद्ध जिनमानी मानी मुनिय घट में करो हूँ सुबुद्धि ||३|| चौदई पंच इष्ट पद के पद बंदी, सत्य रूप गुण गरए अभिनंदी । प्रवचनसार ग्रन्थ की टीका वालबोध भाषा सयनीका |१४|| रों माप परकों हितकारी, भनि जीव आनंद बिधारी । प्रवचन जलधि अरथ जल लेह, मति भाजन समान जल येह |५| दोहा प्रमृतचंद कृत संस्कृत, टीका अगम अगर 1 तिस अनुसार कहीं कछुक, सुगम प्रलय विस्तार ||६||
SR No.090254
Book TitleKavivar Bulakhichand Bulakidas Evan Hemraj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1983
Total Pages287
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & History
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy