________________
कविवर बुलाखीचन्द
बुलाखीचन्द हिन्दी विद्वानों के लिये एक दम नया नाम है। क्या जैन एवं क्या जनेतर विद्वानों में से किसी ने भी कविवर दुलाखीचन्द के विषय में अभी तक नहीं लिखा है । इसलिये प्रकादमी के प्रस्तुत भाग में एक अज्ञात कवि का परिचय देते हुए हमें मी प्रत्यधिक प्रसन्नता है । इसके पूर्व भी अकादमी के दूसरे भाग में गारवदास, चतुर्थं भाग में श्राचार्य जयकीति, राघव, कल्याण सागर तथा पंचम भाग में ब्रह्म गुणकीति जैसे प्रशात कवियों का परिचय दिया जा चुका है लेकिन बुलाखीचन्द उन सबसे विशिष्ट कवि थे तथा अपने समय के प्रतिनिधि कवि थे ।
जीवन परिचय :
कविवर मुलाखीचन्द जैसवाल जाति के श्रावक थे। जैसवाल जाति की उपरोतिया एवं तिरीतिया इन दो शाखाओं में से बुलाखीचन्द तिरोतिया शाखा में उत्पन्न हुये थे । उनके पितामह का नाम पूरणमल एवं पितामह का नाम प्रसाम था। वे राजाखेड़ा के बोधरी थे तथा उनकी भागरा तक घाक् थी। प्रताप जैसवाल के पांच पुत्र थे जिनमें सबसे छोटे लालचन्द मे ।
लालचन्द के पुत्र का नाम जिमचन्द था लेकिन सभी परिवार वाले उसे बुलाखीचन्द के नाम से पुकारते थे 12 लेकिन वे कौनसे संवत में पैदा हुए, माता का नाम
१.
कारक गाम गोत परनए इहि विधि सवाल भरनए । उपशेतिया गोत छत्तीस, तिरोंतिया गनि छह चालीस ॥७४॥ तिरोंतिया तिनि में एक जानि, पूरण प्रश्न प्रताप सुद जानि ।
राजाबेरा की बजधरी, अण्गलपुर को मानु छु बरी ।। ७५ । २. साके पांच पुत्र प्रभिराम, अनुज लालचन्द तसु नांम ।
ता सुतहीये प्रीति निचन्द, सब कोऊ कहे बुलाखीचन्द ।। ७७ ।।