SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 145
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२८ कविवर बुलाखीचन्द, बुलाकीदास एवं हेमराज वीतराग जो देव है, धर्म अहिंसा रूप, गुरु निग्रन्थ जु मानिए, यह सम्यक्त्व सस्प ॥३॥ परहन्त के ४६ गुणों का विस्तृत वर्णन करने के पूर्व केवली के माहार का निषेष किया गया है । कवि ने अपने जलचन्द के नाम का भी प्रयोग किया है । छयालीस गुन ए कहै. पढी भष्य सुभ लीन । बूलचन्द यौं बीन, राखो कंठ सदीव ।।१६।१२।। इस प्रकार तीसरे प्रभाव में वेव, धर्म एवं गुरु के स्वरूप पर अच्छा प्रकाश गाला है जो १०२ पदों में समाया होता है। चतुर्थ प्रभाव में भष्टांग सम्यगदर्शन का ५६ पत्रों में वर्णन किया है। पञ्चम प्रभाव सुमति बिन की स्तुति से प्रारम्भ होता है। इसके पश्चात् सम्यगदर्शन के पाठ अंगो की कहानी को निम्न प्रकार विभाजित किया है - पञ्चम प्रभाव- निशंकित्त अंग-भजन तस्कर कथा- १४० पद्य षष्टम प्रभाव- निःकांक्षित अंग-अनन्तमतीकथा-- पय ६४ सप्तमप्रभाव- गिविचिकित्सा एवं प्रभूड दृष्टि अंग -उद्दापन राजा रेवती रानी कथा-पद्य ७३ प्रष्टम - उपगूहन एवं स्थिति करण मंग- जिनेन्द्र भक्त श्रेष्टि एवं वारिषेण मुनि- ७० नयम - वात्सल्य मग- विष्णुकुमार मुनि- ७० पर पशम , - प्रभामा अंग- वजकुमार मुनि- ६४ एमपन,- सम्यक्व महात्म्य- मष्ट मदों का वर्णन - ५३ पथ द्वादश ,- प्रष्ट मूलगुण, सप्तम्यसन माहिसा अणुप्रत घम्न -- १०० पद्य प्रष्ट मूलगुणों को एक सर्वया छन्द में निम्न प्रकार गिनाए हैं मदिरा अमिष मधु वट फल पीपल जु ऊवर कंवर प्रौ पिलुवन जानिये। इन को खाइ नर सोइ महापाप घर सुमति को नास फर कुमति अमानिये ।
SR No.090254
Book TitleKavivar Bulakhichand Bulakidas Evan Hemraj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1983
Total Pages287
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & History
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy