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________________ P कविवर बुलाकीदास ११६ इस प्रकार कवि ने अपना वंश परिचय बहुत ही उसम शब्दों में दिया है । पाण्डव पुराण में कवि ने अपना वंश परिचय साहु समरसी के नाम से प्रारम्भ किया है जबकि प्रश्नोत्तर श्रावकाचार में साहु अमरसी के पुत्र पेमचन्द से प्रारम्भ किया है । दोनों ग्रन्थों के आधार पर कवि का निम्न प्रकार वंश वृक्ष ठहरता है ( १ ) प्रश्नोतर श्रावकाचार पेमचन्द । श्रवनदाम 1 नन्दलाल - परिन जैनुलदे ' मूलचन्द प्रपर नाम बुलाकीदास (२) पाण्डवपुराण साहु ममरसी 1 पेमचन्द F भवनदास - प्रनन्दी पनि I नन्दलाल जैनी पनि T बूलचन्द मपर नाम बुलाकीदास इस प्रकार दोनों कृतियों में से पाण्डवपुराण में कवि ने अपने पूर्वजों में साहु समरसी का नाम एवं बुलाकीदास के पितामह भवनवास की परिन का नाम का विशेष उल्लेख किया हैं । शेष नाम समान हैं । बुलाकीदास के पूर्वज साहू अमरसी नयाना में रहते थे। उस समय माना प्रदेश का था। वहाँ चारों ही वर्णं वाले रहते थे सभी सम्पन्न दिखायी देते
SR No.090254
Book TitleKavivar Bulakhichand Bulakidas Evan Hemraj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1983
Total Pages287
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & History
File Size4 MB
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