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________________ बुधजन द्वारा निबद्ध कृतियां एवं उनका परिचय ५७ रचना में यद्यपि विविधता है तथापि इस रचना का वृन्द सतसई आदि नीति ग्रन्थों के समान प्रचार-प्रसार न हो सका, यह परिताप का विषय है । भजन सतसई : अनुशीलन सतसई के नीति सम्बन्धी अंशों पर दृष्टिपात करने से विदित होता है कि कवि ने केवल उपदेशात्मक ही नहीं, सामान्य नीति की भी अनेक उपयोगी बातों का न किया है। मुख्यतः 'बुधजन सतसई' एक सुन्दर नीति ग्रन्थ है। इसमें पांच प्रकार की नीतियों का समावेश है। वे इस प्रकार हैं : (१) वैयक्तिक नीति (२) पारिवारिक नीति (३) सामाजिक नीति (४) आर्थिक नीति ( ५ ) इतर प्राण विषयक नीति । १. वैयक्तिक नीति जैन रचनाओं में प्रायः शारीरिक सुखों की उपेक्षा ही दिखाई गई है, परन्तु बुधजन ने दुःखों से छूटने की प्रेरणा ही नहीं दो, रोगनिवारण के उपायों का उल्लेख भी किया है । कतिपय वैयक्तिक नीति सम्बन्धी दोहे उच्चत हैं पट पनही बहु खीर गो, प्रौषधि बीज प्रहार । ज्यों साभे त्यों लीजिये, कीजे दुःख परिहार ॥ कोड़ मांस, घृत जुर विषे, सूल दिल भी टार । हम रोगी मैथुन तजो, नवां वान अतिसार ॥ असत् न नहि बोलिये, तसें होत विगार 1 वे सस्प नहि सत्य है, जाते है उपकार || पुस्तक गुरु विरता लगन, मिले सुधान सहाय । तब विद्या पढ़ियां बने, मानुष गति परजाय * ।। सींग पूछ बिन बैल है, मानुष बिना विवेक । भय अभय समझे नहीं, भगिनी भामिनी एक ॥ पारिवारिक नीति कवि ने सुभाषित नीति में अनेक उपयोगी बातों का उल्लेख किया है। मातापिता की सेवा तथा पातिव्रत पर तो सभी नीति-कवियों ने थोड़ा बहुत लिखा है, परन्तु बुधजन ने भाई के प्रति पुत्र और पत्नी से भी अधिक प्रेम तथा भानजे के प्रति सावधानता का उल्लेख किया है कतिपय पारिवारिक नीति सम्बन्धी दोहे उद्घृत हैं--- १. २. २. ४. धवन सतसई, पथ संख्या २३८ प्रथम संस्करण, सनाक्षय वही, पथ संख्या २७८ यही पद्म संख्या ६७७ वहीं, पद्म संख्या ४२६ यही पथ संख्या ४३७
SR No.090253
Book TitleKavivar Budhjan Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Shastri
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1986
Total Pages241
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & History
File Size4 MB
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