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बुधजन द्वारा निबद्ध कृतियां एवं उनका परिचय
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सहज में ही चल जाता है। उनमें लोक रंजन या ख्याति - लाभ पूजादि को कोई स्थान नहीं है ।
अलंकार तथा प्रसाद गुण से विशिष्ट होने के साथ-साथ उक्त रचना सरल, सरस एवं गम्भीर अर्थ को लिये हुए हैं । कविता में कहीं-कहीं उर्दू, गुजराती अपभ्रंश, राजस्थानी व्रज प्रादि भाषाओं के शब्दों का यथोचित समावेश किया गया है । इसमें भिन्न-भिन्न विषयों पर लिखी गई कविताओं का सुन्दर संकलन है । इसमें निम्नलिखित रचनाएं संग्रहीत हैं, जिनके शीर्षक इस प्रकार हैं—
E
१ विचार पच्चीसी
२
दर्शन पच्चीसी
३ अरहंत देव की स्तुति
देव दर्शन स्तुति
४ दर्शना
५
६ पूजा के दोहे
७
दर्शन के पद
म
ढाल त्रिभुवन गुर स्वामी की
ढाल मंगल की
९ विनती पव
विष, छत्तीसी
१०
११
द्वादशानुप्रेक्षा १२ शुद्धात्मा - जखड़ी
१३ सक्यकत्व - भावना
१४ सरस्वती पूजा
१५ पूजाष्टक
१६
शारदाष्टक
१७ गुरु विनती
१८ चौबीस दारणा
१६ स्फुट पद
२० जिनोपकार स्मरण स्तोत्र
२५ पद २५ पद
४ पद
पद
७ पर्व
६ पद
5 पद
४ प
१२ पद
३६ पद
१४ पद
८ पर्द
१० पद (कवि र की
सम्मत भावना का
हिन्दी पद्यानुवाद |
१५ पद
8 पद
पद
१४ पद
५० पद
१० पद
२० पद
१- बुधजनः बुधजन विलास शास्त्र भण्डार, बि० जैन मन्दिर, सोनकच्छ म. प्र. वि० सं. १६६६, हस्तलिखित प्रति ।