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________________ १० बुत्रजन द्वारा निबद्ध कृतियां एवं उनका परिचय जन चितवत अपने मांहि माप हूं चिदानन्द नहिं पुण्यपाप । मेरा नाहीं है राग-भाव, ये तो विविधवरा उपजे विभावः ॥ ६- छठी ढाल का प्रारम्भ करते हुए "बुषजन" ने मुनि दीक्षा लेने वाले व्यक्ति का जो सुन्दर चित्र खींचा है वह पढ़ने योग्य है । ग्रन्थ की समाप्ति करते हुए बुधजन ने भब्य जीवों का ध्यान एक बार फिर सम्यक्त्व की ओर प्राकपित किया है ' सम्यग्दर्शन सहित नर्क में रहना अच्छा है परन्तु सम्यग्दर्शन के बिना देव व राजा प्रादि की मनुष्य पर्याय भी बुरी है । 2" कितना भावपूर्ण संबोधन है। पहली काल में जो बारह भावनाओं का वर्णन किया है । वह तो विषय और व्यवहार दोनों दृष्टियों से अनुपम है । भात्म- - हितैषियों वारा मनन-पठन योग्य है । २ ३५ दोनों ही कवियों ने अपनी-अपनी छहढाला नामक रचनाओं में सम्पूर्ण जैन वाङ् मय का सार भरकर "गागर में सागर" भरने की उक्ति को चरितार्थं कर दिया है । इस दृष्टि से ये दोनों अनुपम कृतियां है । जो व्यक्ति और समाज दोनों को मोजकर उनमें शक्ति के माध्यात्मिक स्रोत जम्मुक्त कर सकती है । श्री दि. जैन मन्दिर लुगकरगा पांड्या पचेवर का रास्ता, जयपुर के ग्रन्थ भंडार का अवलोकन करते समय द्यानतराय, बुधजन व दौलतराम के अतिरिक्त पं. काशीराम (किशन पंडित) की बह्याला भी हमारे देखने में थाई थी । इस रचना का भली भांति श्रवलोकन करने पर विदित हुआ कि साहित्यिक दृष्टि से यह रचना उत्तम कोटि की नहीं है। रचना अत्यन्त सघुकाय है। कवि ने रचनाकाल वि. सं. १८५२ दिया है । ये बुत्रजन कवि के समकालीन ही हैं। जो भी हों इन चारों कवियों की कृतियों में सर्वाधिक व्याप्ति दौलतराम कृत बहढाला की है । दूसरे नम्बर पर "वजन" की छाला भाती है । शेषं दो रचनाएं प्रसिद्धि को प्राप्त न हो सकीं। फिर भी यह निश्चित हैं कि दाल के रूप में काव्य-रचना उस युग की एक विशेष काव्य-विद्या थी । १- बुधजन छहबाला, तृतीय बाल, पू. संख्या २, पृ. ३४, सुषमा प्रेस सतना प्रकाशन । : भला नरक का वास, सहित समकित के पाता 1 अरे बने जे देव, नृपति, चियामत माता क्वन: छहढाला छठी ढाल, पद्म सं. म, पृ. ३० सुषमा प्रेस सतना प्रकाशन ।
SR No.090253
Book TitleKavivar Budhjan Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Shastri
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1986
Total Pages241
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & History
File Size4 MB
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