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________________ सह संरक्षक की कलम से श्री महावीर ग्रंथ अकादमी द्वारा प्रकाशित "कविवर बुधजन व्यक्तित्व एवं कृतित्व को पाठकों के हाथों में देते हुए हमें प्रतीव प्रसन्नता है । यह अकादमी का नवम पुष्प है । इसके पूर्व अकादमी द्वारा माठ पुष्प और प्रकाशित किये जा चुके हैं समस्त हिन्दी जैन साहित्य को २० भागों में प्रकाशित करने की योजना के अन्तर्गत अकादमी निश्चित रूप से प्रागे बढ़ रही है जो अत्यधिक उत्साहवर्धक है। वास्तव में किसी भी दिशा में योजनाबद्ध कार्य करना कठिन होता है लेकिन डा. कस्तूरचन्द कासलीवाल का दृढ़ संकल्प एवं साहित्य के प्रति अभिरूचि इस योजना की प्राधार शिला है। डा. कासलीवाल जी को इस योजना में समाज का प्राप्त सह्योग भी निश्चित रूप से उनके कार्य को सुगम बनाने वाला है । अकादमी द्वार। जन हिन्दी साहित्य के २० भाग प्रकाशित हो जायेंगे तो हिन्दी जगत में यह एक पाश्चर्यजनक कार्य होगा। इसलिये हम उस दिन की प्रतीक्षा कर रहे हैं जब हम हिन्दी जगत को यह अमूल्य मेंट कर सकेंगे। प्रस्तुत पुस्तक में जिस कवि का परिचय दिया जा रहा है वे जयपुर के निवासी थे। उन्होंने इसी नगर में रहते हुए कास्य रचना की थी और अपनी काव्य कृतियों से नगर वासियों को माध्यात्मिक एवं भक्ति रस में सरोबार कर दिया था। बुधजन कवि का "प्रभु पतित पावन में मपावन चरण भायो शरण जी" जसा भक्ति गीत पाज भी लाखों जैन भाई-बहिनों को कंठस्थ है मौर में प्रतिदिन उसका पाठ करते हैं। उनके पचासों हिन्दी पद, छहढाला एवं अन्य पाठ समाज में प्रत्यधिक लोकप्रिय है इसलिये बुधजन कवि जो जन-जन के कवि हैं उनके कण्ठ से निकला हुआ प्रत्येक गीत एवं फाध्य पाठक के हृदय को छूने वाला होता है । उनकी कृतियों में में इतना पाकर्षण है कि जो भी एक बार उन्हें पढ़ लेता है वह उन्हीं में डूब जाता है ! डा. मूलचन्द जी शास्त्री ने ऐसे जनप्रिय भक्त कवि एवं माध्यात्मिक कवि पर शोष प्रबन्ध लिखकर प्रशंसनीय कार्य किया है जिसके लिये वे बधाई के पात्र है।
SR No.090253
Book TitleKavivar Budhjan Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Shastri
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1986
Total Pages241
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & History
File Size4 MB
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