SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 147
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२४ कविवर बुधजन व्यक्तित्व एव कृतित्व प्राते हैं । खंड्येतर-ध्वनिग्राम जिनका उच्चारण स्वतंत्र रूप से न हो सके, जो अपने जच्चारण के लिये खंड्वध्वनि ग्राम पर ही प्राधारित हो । दीर्घता, अनुनासिकता, बलाघात, सुर, लहर, संगम या निवृत्ति खंड्ये तर ध्वनिग्राम के अन्तर्गत आते हैं। ___हिन्दी में ध्वनिग्राम दो प्रकार के हैं :- संजय और खंतर । संख्यध्वनि ग्राम के दो भेद है (१) स्वर ध्वनिग्राम (२) व्यंजन ध्वनिग्राम खंड्येतर ध्वनि ग्राम के ५ भेद है-दीर्घता, अनुनासिकता, बलाघात, अनुमान और संगम । पचा ऑफिस में या-प्रों । बाल-वॉल । काकी-कॉफी । हाल का हॉल । हिन्दी में सभी स्वरों के अनुनासिक रूप मिलते हैं पथा--हंसना, दांत सिंघाड़ा, सींचना, सोंठ, भेस इत्यादि । ___ इनके अतिरिक्त धातुओं के पीछे शब्द लगाकर अनेक कुदन्त रूप व धातु नों को छोड़कर शेष प्राब्दों के परे प्रत्यय लगाने से अनेक तद्धित शब्द बनते हैं। इसका साष्टीकरमा निम्न प्रकार है । कृदन्त । १ कतवाचक २ कर्मवाचक ३ करण वाचक १ जैसे गर्वमा २ गाया हुमा ३ जैसे-चलनी ४ भाववाचकः ५ क्रियावाचक ४ जैसे-बहराब ५ जैसे खाता हुना। सद्धित १ भाववाचक २ गुण जैसे-दूधवाला ५ खटिया हिन्दी में मुख्य केन्द्रीय ध्वनिग्राम ३५ हैं। इनमें से मुख्य स्थर ध्वनि-ग्राम १० हैं यधा-ग्र आ इ ई उ ऊ ए ऐ मो प्रो इनमें भी ए ऐ नो प्रो संयुक्त हैं ध्यंजनध्वनिग्राम-व्यंजन ध्वनियों का वर्गीकरण मुख्य रूप से तीन प्रकार से किया जा सकता है-- (१) घोषत्व की दृष्टि से । (२) उच्चारण प्रयत्न की दृष्टि से । (३) उच्चारण स्थान की दृष्टि से । व्यंजनों में कुछ संयुक्त व्यंजन हैं। यथा-क्ष मज । उदाहरण मित्र, विज्ञ, विद्यार्थी, बच्चा, क्षत्रिय इत्यादि । दो व्यंजन वाले शब्द फैक्ट्री, दक्तुत्व,
SR No.090253
Book TitleKavivar Budhjan Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Shastri
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1986
Total Pages241
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & History
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy