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कविवर बुधजन व्यक्तित्व एव कृतित्व
प्राते हैं । खंड्येतर-ध्वनिग्राम जिनका उच्चारण स्वतंत्र रूप से न हो सके, जो अपने जच्चारण के लिये खंड्वध्वनि ग्राम पर ही प्राधारित हो । दीर्घता, अनुनासिकता, बलाघात, सुर, लहर, संगम या निवृत्ति खंड्ये तर ध्वनिग्राम के अन्तर्गत आते हैं।
___हिन्दी में ध्वनिग्राम दो प्रकार के हैं :- संजय और खंतर । संख्यध्वनि ग्राम के दो भेद है
(१) स्वर ध्वनिग्राम (२) व्यंजन ध्वनिग्राम
खंड्येतर ध्वनि ग्राम के ५ भेद है-दीर्घता, अनुनासिकता, बलाघात, अनुमान और संगम । पचा ऑफिस में या-प्रों । बाल-वॉल । काकी-कॉफी । हाल का हॉल ।
हिन्दी में सभी स्वरों के अनुनासिक रूप मिलते हैं पथा--हंसना, दांत सिंघाड़ा, सींचना, सोंठ, भेस इत्यादि ।
___ इनके अतिरिक्त धातुओं के पीछे शब्द लगाकर अनेक कुदन्त रूप व धातु नों को छोड़कर शेष प्राब्दों के परे प्रत्यय लगाने से अनेक तद्धित शब्द बनते हैं। इसका साष्टीकरमा निम्न प्रकार है ।
कृदन्त
।
१ कतवाचक २ कर्मवाचक ३ करण वाचक १ जैसे गर्वमा २ गाया हुमा ३ जैसे-चलनी
४ भाववाचकः ५ क्रियावाचक ४ जैसे-बहराब ५ जैसे खाता
हुना।
सद्धित
१ भाववाचक २ गुण
जैसे-दूधवाला ५ खटिया हिन्दी में मुख्य केन्द्रीय ध्वनिग्राम ३५ हैं। इनमें से मुख्य स्थर ध्वनि-ग्राम १० हैं यधा-ग्र आ इ ई उ ऊ ए ऐ मो प्रो इनमें भी ए ऐ नो प्रो संयुक्त हैं ध्यंजनध्वनिग्राम-व्यंजन ध्वनियों का वर्गीकरण मुख्य रूप से तीन प्रकार से किया जा सकता है--
(१) घोषत्व की दृष्टि से । (२) उच्चारण प्रयत्न की दृष्टि से । (३) उच्चारण स्थान की दृष्टि से ।
व्यंजनों में कुछ संयुक्त व्यंजन हैं। यथा-क्ष मज । उदाहरण मित्र, विज्ञ, विद्यार्थी, बच्चा, क्षत्रिय इत्यादि । दो व्यंजन वाले शब्द फैक्ट्री, दक्तुत्व,