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________________ शिल्प सम्बन्धी विश्लेषण ११९ अज मिश्रित द्वारी (राजस्थानी) भाषा कवि की कृतियों में स्पष्ट रूप से दृष्टि गोचर होती है । कविवर की रचनामों में सामान्यतः यही भाषा प्रयुक्त है । राजस्थान प्रदेश की भाषा राजस्थानी है। यह राजपूताना, मध्यभारत के पश्चिमी भाग, प्रदेश, सिंगरय, पं: निमन क्षेः बोली जाती है। मुख्य रूप से वह मरूभूमि की भाषा है । डा. प्रियसन ने इसे चार भागों में विभक्त किया है : (१) मारवाड़ी (२) मध्यपूर्वीय समुदाय (जिसकी विशिष्ट बोली जयपुरी है। (३) पश्चिमोलरी समुदाय (जिसकी विशिष्ट बोली मेवाती है) और (४) मालवी । इन्हीं चारों को राजस्थानी की चार मुख्य-विभाषानों के रूप में स्वीकार किया गया है 1 डॉ० चटर्जी ने राजस्थानी बोलियों को पश्चिमी और पूर्वी इन दो वर्गों में समाहित किया है, किन्तु डॉ० तिवारी इनके चार वर्ग मानते हैं। यथा(११ पश्चिमी राजस्थानी मारवाड़ी) (२) पूर्वी राजस्थानी (जमपुरी, किशनगढ़ी, नजमेरी, हाडोती) (३) दक्षिण पूर्वी राजस्थानी (मालवी) (४) दक्षिणी राजस्थानी (भीली-सौराष्ट्री) इनके अन्तर्गत प्रसिद्ध उप बोलियां भी हैं । साहित्यिक दृष्टि से मारवाड़ी भापा समद्ध है । वास्तव में राजस्थानी का उदगम शौरसेनी अपभ्रश से खोजा जाता है। उसका एक पर्वतीय प मध्य पहाड़ी का स्रोत भी है। दूसरी बात यह है कि हरा, शाक, गर्जर आदि लोगों के सहवास और प्रसार के इन क्षेत्रों को कुछ समानत! प्रदान की है। राजस्थानी में अनेक द्वारों से शब्द-प्रवेश हुमा है। यह व्यवस्था केवल राजस्थानी भाषा पर ही लागू नहीं होती, अपिसु प्रायः सभी बोलियों और भाषानों पर लागू होती है । राजस्थान एक प्रदेश है, जहां प्राचीन काल में अनेक जातियों का आवागमन होता रहा है । उनके संपर्क से अनेक शब्द राजस्थानी में प्रविष्ट हए । राजस्थानी का शब्द समूह अधोलिखित स्रोतों से सम्बन्धित है और उसका विभाजन इस प्रकार है। १ तत्सम शब्द २ तद्भव शब्द ३ अनार्य भाषाओं के शब्द ४ अाधुनिक बोलियों से उधार लिये पाकन ५ देशम शब्द ३ विदेशी-शब्द विभिन्न स्रोतों से प्राप्त इन शब्दों को राजस्थानी बोली से ध्वनि और रूपतत्व के अनुरूप इस प्रकार पचा लिया है कि वे अब उसी के बन गये हैं। संस्कृत अरबी, फारसी तथा अग्रेजी शब्द इस प्रकार राजस्थानी की प्रकृति में ढले
SR No.090253
Book TitleKavivar Budhjan Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Shastri
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1986
Total Pages241
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & History
File Size4 MB
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