SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 129
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कविवर बुधजन : व्यक्तित्व एवं कृतित्व (१) पीजै तुषा समान। (२) हरषत है मनमोर। (३) रतन चितामणिपायके गहै कांच को हाथ । (४) तारो गरि हाथ । (५) जैसा बनि निरखतिसा सीसामें दरसाय: 1 १६) महाराज की शेव तजि से कौन कंगाल' । (७) अमृती पास विचारिक छतीदंत छिटकाय' । () सरघा सं संसय सब जाय । (E! सीख दई सरधै नहीं, कर रन दिन सौर। (१०) पूत नहीं वह भूत है, महापापफल थोर ।। (११) कर्म किंगाःहिगा है। (१२) अवसरत बोलो इसो ज्यों आटे में नौना । (१३) मालनिढाके टोकरा, छूटे लखिके छल । (१४) अधिक सरलता सुखद नहि, देखो विपिन निहार । सीधे बिरवा काटि गये, वाके खड़े हजार ।। जैन शास्त्रों का एक वर्गीकरण चार अनुपयोगों के रूप में भी कवि द्वारा किया गया है :(१) प्रथमानुयोग (२) करणानुयोग (३) चरणानुयोग (४) द्रव्यानुयोग अनुयोगों की कथन-शैली प्रादि का सामान्य वर्णन तो पूर्वाचार्यों के ग्रन्थों में मिलता है पर वह अति संक्षेप में है। कविबर बुधजन ने चारों अनुयोगों का सुन्दर एवं सूक्ष्म विश्लेषण किया है । __अब हम प्रत्येक अनुयोग के सम्बन्ध में संक्षिप्त रूप में अनुशीलन प्रस्तुत करेंगे। प्रथमानयोग जिन ग्रन्थों में चारों पुरुषार्थों, किसी एक महापुरुष के चरित्र और असल शलाका पुरुषार्थों के चरित्र का वर्णन होता है उन कथा, चरित्र, और पुराण कहे जाने वाले ग्रंथों को प्रयमानुयोग कहते हैं। प्रथमानुयोग के अध्ययन से श्रद्धा की वृद्धि होती है। प्रथमानुयोग के १. प्राचार्य समन्तभद्रः रलकरम्हश्रावकाचार, अध्याय-२, श्लोक ४२-४६ सरम जम अन्य भंडार, जबलपुर ।
SR No.090253
Book TitleKavivar Budhjan Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Shastri
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1986
Total Pages241
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & History
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy