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________________ १०४ कविवर बुधजन : व्यक्तित्व एवं कृतित्व 'कविवर बधजन के औषधिविज्ञान से सम्बन्धित उदाहरण (१) अधिक खाने से बीमारी होती है । अधिक बोलने से मान घट जाता है। अधिक सोने से घन का विनाश हो जाता है । अतः किसी भी बात को अति नहीं करना चाहिये ।। (२) वस्त्र, जूते, गाय का दूध, दवाई, बीज और भोजन इनसे जितना लाम मिलता है, उतना लाभ अवश्य लेना चाहिये जिससे कि कष्टों का निवारण हो । (३) उलटी मा के करने से कफ का नाश होता है । मालिश करने से वायु विकार मिटता है । स्नान करने से पित शमन होता है और लंघन करने से बुखार का नाश होता है ।। (v) कोढ़ी व्यक्ति को मांस, ज्वर के रोगी को घृत, शूल के रोगी को दो दालों वाला अन्न, नेत्र के रोगों की मथुन संवन नहीं करना चाहिये । अतीसार के रोगी को नया अन्न नहीं खाना चाहिये । (५) अपध्य-सेवन से, स्वाद का ध्यान रखने से, रोग दूर नहीं हो सकता अत: यदि रोग दूर करना हो तो कुटकी का चिरायता (कड़वीदवा) पीने योग्य है और रूखा भोजन (सुपान्य) करना योग्य है । (६) भूख से कम खाना प्रमुस तुल्य होता है और खूब प्रधाकर खा लेना विष के समान है । ऊनोदर भोजन शरीर को पुष्ट करता है और बल बढ़ाता سم प्रतिखाने में रोग है, अति बोले ज्या मान । प्रतिसोयें धनहानि है, प्रति मतिकरो सुजान ।।१२६।।। २. पट पनही बहस्वीर गो, भोषषि बीज प्रहार । ज्यों लाभ स्यों लीजिये, कीजे तुख परिहार ॥२३॥ वमन करते कफ मिटै, मरदम मेटें बास । स्नान किये ते पित्त मिटे, संधन तेंडर जात ॥२७॥ ४. कोढ़ मांस घृत अरवि, सूल द्विदल यो टार । गरोगी मैथुन तो, नवौ धाम प्रतिसार ॥२७॥ ५. स्वाद लख रोग न मिट, कीये कुपथ अकाज । सातै कुटंकी पीजिये, खां लूशा नाज ॥३२॥ कषि बुधजन सप्तसई, पड संख्या १२६,२६८,२७७,२७८ ।
SR No.090253
Book TitleKavivar Budhjan Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Shastri
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1986
Total Pages241
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & History
File Size4 MB
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