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________________ भाव पक्षीय विश्लेषण १०३ ७७-१०-६७ ६७-४-६३ ६. प्रमत्त ७, अप्रमत्त ६३-६२-५६ ५६-१-५८ ८. अपूर्वकरण ६. अनिवृत्तिकरण शरीर मंगोपांग बनवृषभनारायसंहनन का बंध घट जाता है। प्रत्याख्यान-४ का बंप छुट जाता है। अस्थिर, प्रशभ, मसातावंदनीय, अयशकीर्ति प्ररति, शोक प्रादि ६ का बंष छूट जाता है। प्राहारक शरीर, माहारक अंगोपांग का बंन्ध होता है । देवायु का बंध खट आता है। निद्रा, प्रचला, तीर्थकर, निर्माण, प्रशस्त विहामोगति, ५ इन्द्रिय, तेजसशरीर, कामांसशस, आहारक था और अंगोपांग, समचतुरस्रसंस्थान, वैक्रियक शरीर और अंगोपांग, देवगति, देवगत्यानुपूर्वी, देवायु स्पर्श, रस, गंध, वर्ण, प्रगुरुलघु, उपघात, परवात, उच्छास, श्रस, वादर, पर्याप्त, प्रत्येक, स्थिर, शुभ, सुभग, सुस्वर, हास्य, प्रादेय, रति, जुगुप्सा भयं । संज्वलन क्रोध, मान, माया, लोभ, पुरुष वेद ये पांच प्रकृतियां छूट जाती हैं । ज्ञानावरणीय ५, दर्शनावरणीय ४, मत राय ५, यशः कीर्ति, उच्चगोत्र का बंध छुट जाता है। उपरोक्त अनुसार एक ही प्रकृति का बंध होता है। सातावेदनीय का बन्ध उपचार से होता ५८-३६-२८ १०. सूक्ष्मसापराय २२-५-१७ ११. उपशान्तमोह १७-१६-१ १२. क्षीणमोह १३. संयोगकेश्वली १४. अयोगकेवली एक भी प्रकृति का बंध नहीं होता है निर्वाण का किनारा है।। १. बुधजन: सत्यार्पयोष, पृष्ठ १६१-१७७, पद संख्या ६६-११५, प्रकाशक कन्हैयालाल गंगवाल, लश्कर ।
SR No.090253
Book TitleKavivar Budhjan Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Shastri
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1986
Total Pages241
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & History
File Size4 MB
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