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________________ ६२ कविवर बुधजन : व्यक्तित्व एवं कृतित्व किसी रूप में प्रकृति का श्रालंबन, उद्दीपन रूप में चित्रण किया है। यह चित्रण जहां सौंदर्य को अभिव्यक्त करता है नहीं मानवीय पक्षों के चित्रण में भी सहायक माना जाता है किन्तु मानव की मूल प्रकृति का यथा तथ्य वर्णन करना विशिष्ट कवियों की प्रतिभा का ही कार्य प्रतीत होता है। प्रकृति के बाह्य रूपों का वर्णन करना सरल है, किन्सु बाह्य प्रकृति का श्रालंबन लिये बिना प्रत्यक्ष रूप से मानव-प्रकृति का वर्णन करना असंभव नहीं तो क्लिष्ट अवश्य है । 'बुधजन' जैसे कवि ही इस प्रकार के प्रकृति चित्रण करने में समर्थ हैं । इतना ही नहीं 'अनेक जैन कवि प्रकृति के प्रांगा में पले और वह ही उनका साधना क्षेत्र बना अतः वे प्रकृति चित्रण भी स्वाभाविक ढंग से कर सके । उन्होंने प्रकृति के माध्यम से अनेक प्रकार की शिक्षा दी है। यथा-रात्रि का दीपक चन्द्रमा है । दिन का दीपक सूर्य है। सारे संसार का दीपक धर्म है और कुल का दीपक शूरवीर पुत्र है । शिक्षा देने पर भी जो श्रद्धा नहीं करता । रातदिन झगड़ा और फिसाद करता रहता है । ऐसा पूत पुत नहीं, भूल है । वह तो अपने घोर पापों का फल है। कवि ने बिम्ब-प्रतिविम्ब रूप में भी प्रकृति का चित्रण किया है । यथा संपत्ति के सबही हितु, विपक्ष में सब दूर । ।। १६८ ।। सुखोसर पंखी तजे, सेवें जलते पू यहां पंखी - सरोबर का बि संपत्ति पानी से भरा सरोवर विपत्ति-सुखा सरोबर डॉ० प्र ेमसागर जैन जैन भक्तिकाव्य और कवि, पृ० २० ज्ञानपीठ लोकोवय ग्रन्थमाला, प्रत्थान्क १८६० संस्करण, १६६४ २. बुधजन : बुधजन सत्तसई: पृ० सं० १८१, पृष्ठ सं० ३७ ३. बुधजन : बुधजन सतसई, पृ० सं० १५२, पृष्ठ संख्या ३८ ४. बुधजन बुधजन सतसई, पद्म संख्या १६८, पृष्ठ संख्या ३५ सनावद
SR No.090253
Book TitleKavivar Budhjan Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Shastri
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1986
Total Pages241
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth, Biography, & History
File Size4 MB
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