SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 96
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ८० कविवर बूचराज माया फलहि कलेसु थापु संतापु छदम दुखु कम्म मिथ्या मासरउ प्राद धंद्धमि कियउ पसु ।। कुविस कुसीन कुमतु जुडिउ रागि दोषि आय लहिउ । अध्पणउ समन् वलु देखि करि लोहरा तब गहंग हिउ ॥ २३ aftee ग्रह गहिपर तव लोहु चितंतरि वज्जिय कपट निसाण गहिंय सरि विषय तुरंगिहि दिय पाणउ संतोष दिसि किट पाउ ।।७३। सुविक्षिणि । प्रावत सुणिउ संतोष ततक्षिणि, मनि भानंदु की तह उइ सयनह पति सतु श्रापद लिति दलू श्रप्पर वैगि बुलाय ||७४|| गाथा हरषित संतोषु सुरु बहु भाए । सो मिलियट सीलु भडु मा ।।७५ गीतिका छन् बुल्लायड दलु प्रप्प, जिस कार सहस अंग, संतोष की सेना - भाईयोसीसु सुद्धम्मु समकतु न्यानु चारिंतु संवरो । वैरागु तपु करुणा महाव्रत खिमा चिति संजमु थिए । प्रज्जउ सुमद्दउ मूर्ति उपसमु सम्मु सो पार्कषणों । द्रव मेलि वलु संतोष राजा लोभ सिउ मंडई रणो ||७६ ।। सामणिहि जय जयकार हूवउ भग्गि मिथ्याति दडे | नीसाण सुत वज्जिय महाधुनि मनिहिं कर लड़े खड़े || केसरिय जीव गर्ज्जत क्लु करि चिति जिसु सासण गुणो मेलि दलु संतोषु राजा लोभ सिउ मंडई रणो ||७७ मज तुल्ल जोग चल गुडियं तत्त महीसा है । वह फरसि पंउि सुमति जुहि चिनि ध्यान पचारहे ॥ अति सबल सर आम्म छुट्टहि श्रसणि जगु पावस घणो । इव मेलि दलु संतोषु राजा लोभ सिज मंडह रणो ॥ ७८ ॥ इव
SR No.090252
Book TitleKavivar Boochraj Evam Unke Samklin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy