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रड'
संचरिउ मह प्रतापु प्राप
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सुगृह स्वामीहरु सुकलिकालु दस खेत किंव विवेकु दुडाइयड, मुकति पंथु चलण न दीयो । कोडाकोडी अट्ठदस सायर मइवलु कित्त ト प्रादीस्वर भय भयउ इष तुम्ह सरणि पहूत्त ॥७१॥ बोहर
आइ परिथ तिहि परिि
कलीकालि पच्चारिड, मोहू तमक्किल काम ॥७२॥ पद्धतीय बंदु
१.
२.
तमकाउ तिनि भडु मोहू जाई, पुरणु माया तह केलं बुलाइ । जब बैठे दून एक सत्यु, कलिकालु कहइ जय जोडि हर ४७३॥ तुम्ह पूत मदत अति चढि तेजि, मन माहिन देखिउ सो मागेजि । घर माहि वडत तिनि नारि दुट्ठि मारतउ न कियज केगि उट्टि ॥७४॥
कामदेव का प्रभाव -
न सहीय तमक मनमथ प्रचंडु, उत्तरित जाइ तितु बोर कुड्डु | यो घोर कुंड दुरु भगाहु, जनु रुहिरु पूर्व भरियो अथाहु ॥७५॥ भय भीम भयंकर पालि जाह, श्रसाता वेर्याणि नलवि ताह जह विरल तिक्स करवाल पत्त, झडि पढहि त्रुट्ठि दहि सिगगत ||३६|| जह देख कख पंखियन ने, जिन्ह चुंच खंडासिय भवह देह | जितु लहरि यगनि झाला तपाइ' खिग़महि सक्नु पालहि जलाइ ||७३) करि मगर मंछ ए दुट्ठ जीय, तिसु भीतरि ते पुर्ण सेइ दीय |
परमाधरमी अधिक जाणि, ते घालि जालु काढति तारिए ॥७८॥ इक लो कुहाड कूक हि गहीर, ते खंड खंड करि घालहि सरीरु । जह तथा वह नित लोह म, जिन्ह लावहि अंगिजि पलिय वंभ ॥७६॥
ग प्रति में रड के स्थान पर वस्तु बन्ध छन्द का नाम दिया है । मन् (ख प्रति)
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तिस (क, ख प्रति) १. अहीर (क प्रति)