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________________ मोह द्वारा चार दूतों को बुलाना - मयरगजुज्झ सालु विवेकह मोह मनि, सोवद पान पसारि । येक दिवस इन सोचि करि, दूत बुलावद परि ।।१२।। मडिल्ल मोहारि तब दूत बुलाइ सार लेण कु वेगि पठाइये | कटु सत् पापु खाउ, म तहां दोहु चवचट जरगव ।। १३६ का वर्णन खोजत खोजत देस सवाइय, पुन रंगपट्टम तब श्राश्य । करि" भरइ को बेस पठाइय, धीरज कोतवाल तब विडिय ।।१४।। बोहा धीरज देखि कु दरसरणीय, बहू ताण तिन्ह दोष | पंस मिले म नगर महि ले करि भागे जीव ||१५|| सीनि गए सिहं बाहु, कपटु कीयड मनि चिट्ठ । सिस सरबर लिय बरहि बल, जितुसर जादव ॥१६॥ रड ज्ञान सरोवर ध्यानु तसु पालि, जलवाणी विमलमइ । सधरण वरषत व्रत बारह थिरु पंखी जोग तिहां । जलनि मगर प्रतिमा इग्यारह प्रतीस रिषि तिहा । मारगंद कुंभ भरेहि, इफ्क जीते सुन्दरी बहू थूति जैन करेह ॥ १७ ॥ । वोहा बहुती जैन पसंसना करत सुखी इक नारि कपट छल्य तब नगर कडू, रूप जतीकज पारि ।।१८।। ९. २. ३. रंगपट्टन ४. ५. ख प्रांत में १३ से १६ तक के पक्ष नहीं हैं। प्रवण ग प्रति ४७ करि भरडे कउ बेसु पइके प्रति तिसग प्रति
SR No.090252
Book TitleKavivar Boochraj Evam Unke Samklin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size5 MB
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