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________________ कविवर बूचराज एवं उनके समकालीन कवि खण्डोलवाल समाज-कवि के समय में चम्पावतो में खण्डेलवाल दि० पैन समाज का अच्छा थोक था । पजमेरा, बाकलीवाल, पहाडिया, साह आदि गोत्रों के श्रावक परिवार प्रमुख रूप में थे। सभी थावक गए सम्पन्न थे । भगवान पार्श्वनाथ की मूर्ति विशेष श्रद्धा एवं मक्ति का केन्द्र थी । मूर्ति प्रतिशय युक्त थी। बादशाह इब्राहीम लोदी के धामण का भी उसी की भक्ति एवं स्तवन ने रक्षा की थी। स्वयं कवि भी भगवान पार्श्वनाथ के पूरे भक्त थे इसलिए जब कभी अवसर मिला कवि पाश्वनाथ के गीत गाने लमते थे । काव्य रचना कवि की अभी तक कोई बड़ी कृति देखने में नहीं पायी । मेघमाल कहा में अवश्य २९५ आवक ६ मा ११९ मा अन्य है। पाधि की ७ रचनाओं का परिचय पं. परमानन्द जी ने दिया था लेकिन शास्त्र भण्डारों की पोर खोज करने पर अब तक कवि की १५ रचनाएँ प्राप्त हो चुकी हैं। जिनके नाम निम्न प्रकार है... रचना संवत् १५७८ " , १५८० , १५८५ १. पार्श्वनाथ शकुन सत्तवीसी २. कृपण छन्द ३. मेघमाला कहा ४. पञ्चेन्द्रिय लि ५. सीमंधर स्तवन ६. नेमिराजमति देलि ७. चिन्तामणि जयमाल ८. जैन पउवीसी ६. शील भीत १०. पार्श्वमाय स्तवन ११. सप्त व्यसन षट पद १२. व्यसन प्रबन्ध १३. पाश्वनाथ स्तवन १४ ऋषभनाथ गीत १५. कवित्त उक्त १५ रचनामों में प्रथम ४ रचनाओं में रसना सैवत का उल्लेख किया गया है शेष सब रचना काल से शून्य है। उक्त रचनामों के प्राधार पर कदि का
SR No.090252
Book TitleKavivar Boochraj Evam Unke Samklin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size5 MB
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