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________________ कविवर ठाकुरसी साहित्यिक जीवन संवत् १५७५ से प्रारम्भ होकर संवत् १५६० तक चलता है । इन १५ वर्षों में कवि साहित्य निर्माण में लगे रहे और अपने पाठकों को नयी-नयी कृतियों से रसास्वादन कराते रहे। कवि के पूरे जीवन के सम्बन्ध में निश्चित तो कुछ नहीं कहा जा सकता है लेकिन ७० वर्ष की भायु भी यदि मान ली जावे तो कवि का समय संवत् १५२० ते १५० क का माना की सकता है | २४१ पञ्चेन्द्रिय बेलि में इन्होंने अपने प्रापको जति शब्द से सम्बोधित किया है इसका पर्थ यह है कि इन्होंने अपने अन्तिम वर्षों में साधु जीवन प्रपना लिया था । तथा भट्टारकों के संघ में ही अपना जीवन व्यतीत करने लगे थे । उक्त १५ रचनाओं में "मेघमाला कहा " के अतिरिक्त सभी लघु रचनायें हैं इसलिए मेरी तो ऐसी धारणा है कि कोच की अभी और भी बड़ी रचनायें मिलनी चाहिए क्योंकि बड़े कवि को छोटी-छोटी रचनामों से ही सन्चोष नहीं होता उसे तो अपनी काव्य प्रतिभा बड़ी रचना निबद्ध करने में ही दिखाने का अवसर मिलता है । 'मेघमाला कहा' एक मात्र अपभ्रंश रचना है शेष सब रचनायें राजस्थानी भाषा की रचना में कही जा सकती हैं। जिन पर ब्रज भाषा का भी प्रभाव दिखाई देता है । उक्त रचनाओं का सामान्य परिचय निम्न प्रकार है १. सीमंधर स्तवन इसमें विदेह क्षेत्र में शाश्वत विराजमान सीमंधर स्वामी का ३ छप्पय छन्दों में वर्णन किया गया है। रचना के अन्त में 'लिखितं ठाकुरसी' इस प्रकार उल्लेख किया हुआ है । भाषा एवं मावों की दृष्टि से स्तवन अच्छी कृति हैं। इसकी एक प्रति शास्त्र भण्डार दि० जैन मन्दिर गोधान जयपूर के ८१ सख्या वाले गुटके में ४५-४६ पृष्ठ पर अंकित है - २. नेभिराजमति वेलि जैन कवियों ने वेलि संज्ञक रचनायें लिखने में खूब रुचि ली है। हमारे स्वयं कवि ने एक साथ दो वेलियां लिखी हैं जिनमें राजमति बेलि प्रथम वेलि है। इसका दूसरा नाम नेमीश्वर बेलि भी है। इसमें नेमिनाथ घोर राजुल के विवाह प्रसंग से लेकर वैराग्य धारण करने एवं प्रन्स में निर्वारण प्राप्त करने तक की संक्षिप्त कमा दी हुई है। बसन्त ऋतु आती है पीर सब यादव वन विहार के लिए खले जाते हैं । इस अवसर पर नेमिनाथ के पूर्व पौरुष का सब को पता चल जाता है और उसके
SR No.090252
Book TitleKavivar Boochraj Evam Unke Samklin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size5 MB
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