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________________ यशोधर चौपई कोमल तन कुच कठिन उत्तंग, जनु लेक कुछ किये सुरंग 1 चीना हंस स सम वानि अतेवर सयत्र हमि पानि ।। १२३ ।। राजु करत पालत नय नीति, इहि विधि गये बहूत दिन वीति । पुत्र बेसि जिनि लीनी पोषि नंदनु भयो तासु की को ि।। १२४ ।। पुत्र का जन्म अध्ययन निसुनि राय नंदनु अवतरौ कोलाहल बंदीजन कियो, यशोहर नाम रखना - षाड्‌यो रहसभाव सुष भन्यो । दीनो दानु उल्हास्यो हियो ।। १२५ ।। श्लोक पुत्रय मोरन नित्त्वा विवाहो सुभसंज्ञका इष्ट- सजन मेला संसारोक- महासुषं ।। १२६४ पारु ज्यारे सुजस को खाणि जसहरु नासु धइह जानि । बाल विनोद नारि मनु हरे, निसु दिनु वादे कर संचरे ।।१२७।। माठ वर बीते सुष माहि, बालक माइ पिता की छाहि नयण पेषि रंज्यो परिवार, सूरतेय सम राजकुमारु ॥१२८॥ पन त सोच्यो टसार, घिय गुरा लाडू किये कसार । पूजि विनायगु जिन सरस्वती, जासु पसाइ हो६ बहूमती ।। १२६॥ भाउ भक्ति गुर तनी पयासि पाटी लिपि लीनी ता पासि । पढ्यो तर व्याकरण पुराण, हय गय वाहन मात्रठान ।। १३०|| 7 २०५ पढि गुने सयलु पिता पहुं गयो, सिर चुंबनु करि अंको लयो । पुत्र सुषु उपयोगात, फुनि माता पहु पठ्यो तात ॥१३१॥ चंद्रमती मंटो एम परघो पुत्रहि देषि हियों सुष भरघी । पर्वत विद्या गुण खानि सफलु जनमु माता तहि मानि ।। १३२ ।। जेसी मारमिता कोसाहू, पभने जननि भ्रमरु चित्र होऊ 1 पषि तरुनु नंदन नर नाहू, बंस बेलि हित ठयो विवाह ।। १३३ ।। कुमारि पंचसे रायनु तनी, एक एक अछरि समगती । कुसुमयन तन कट कोधु चमकत चौकुल गावति चौधु ।। १३४ ।।
SR No.090252
Book TitleKavivar Boochraj Evam Unke Samklin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size5 MB
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