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________________ १३४ कविवर बूधराज एवं उनके समकालीन कवि इस प्रकार बावनी राजस्थानी भाषा की एक उत्कृष्ट रचना है जिसको पाण्डुलिपियो राजस्थान के और भी भण्डारों में उपलब्ध हो सकती हैं। वैराग्य गीत मानव को जीवन में अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरणा स्वरूप है । बचपन, यौवन एवं वृद्धावस्था तीनों ही ऐसे ही निकल जाते हैं पोर जर मृत्यु पाती है तो यह मनुष्य हाय मलने लगता है इसलिए अच्छे कार्य तो जितना जल्दी हो कर लेना चाहिए । यही गीत का सार है जिसको कहने के लिए कवि ने प्रस्तुत गीत निबद्ध किया है। उदर गीत में कवि कहता है कि सारा जीवन यदि उदर पूर्ति में होमलतीत कर दिया और अगले जन्म के लिए कुछ नहीं किया तो यह मनुष्य जीवन धारण करना ही व्यर्थं जावेगा । कवि की भावना है कि प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन में ऐसा कोई सुकृत कार्य प्रवश्य करले जिससे उसका भावी जीवन भी सुधर जाये । इस प्रकार छोहल कवि की कृत्तियां राजस्थानी काव्यों में उल्लेखनीय कृतियो है। सभी कृतियां जन कल्याण की भावना से लिखी हुई हैं। इनमें शिक्षा है, उपदेश है, नीति और धर्म का पुट है तथा लौकिक एवं माध्यात्मिक दोनों की कहानी प्रस्तुत की गयी है। 000
SR No.090252
Book TitleKavivar Boochraj Evam Unke Samklin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size5 MB
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