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________________ चेतन पुद्गल धमाल बहुत्ती जूनिह हाइ करि, ले नरकह महि देइ । यसी जड यह मीत सूणि, मूड विलास करेइ ॥ चेयण गुण ॥३७॥ सहीह परीसह पीसदुद, काट करमह भारु । तिसु सिउ मूढ नविरमीय, तार भव संसार । पेयश सुरा ॥३॥ जिनि कारि जाणी प्रापणी, निश्चै वूडा सोइ । सीरु पड्या विसहरि भुखे ताते क्या फलु होइ ।। चेयरण गुण ॥३६।। चेतनु नेतनि चालइ, फहउत माने रोसु । आपे वोलत सो फिर, जाहि लगावा दोसु । चेयरण सुगु० ॥४॥ जेम्पतीना हेतु करि, सिडूवा गहि रे घाट । कांजी पहिमा दूध महि. हूचा सु, बारह वाट | चेयण गुण ॥४१॥ अह रस भोयण विविहि परि, जो जानित सीवेइ ।। इंदी होवहि परबडी, तउ पर धम्मु चलेइ ॥ चेयरस सुण ॥४२॥ सुगह पियारे बीनती, देखहु चिति अवलोइ। चीजु जु कलिरि वीजीये, ताते क्या फलु होइ ।। चेयण गुणः ।।४।। चोवीस परिपहु पर तज, पंह जोग घरेइ । जड परसादिहि गुणि चई, सिव पुरि सुख भूधए । चेयण सुणु० ॥४४।। इसु जर तणा विसासु करि, जो मन भया निसंकु। काले- पासि पट्ठियह, निश्च चडइ कलंकु ॥ चेयण गुण ॥४५।। खाजे पीजे विलसियाद, फरइत दीजे दान । यहु लाहा संसार का, भावं जाणु न जाणो ।। घेयण सुणु० ॥४६।। मूरखु मूलु न चेतई, लाहै रह्या लुभाई । प्रषा वाट जेवी, पाछ वाछा खाइ ।। चेयण गुण ।।४।। पछवना पाले सदा, उत्तिम पहु परवाणु । प्रकरि जा विमु संग्रही, तो वन वद जाणु ।। चेयण सुणु ॥४८॥ इस भरोसे जे रहे, चेते नाही जागि । डूचे तारू वापुडे, भेजह पूछडि लागि ॥ धेयण गुण ॥४६।। १. दूष । २. कोयला।
SR No.090252
Book TitleKavivar Boochraj Evam Unke Samklin Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size5 MB
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