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________________ इससे उत्कृष्ट कषायोदय स्थान में और प्रजघन्य-अनुत्कृष्ट क्रोध के उपयोग काल में जीव विशेषाधिक हैं। इससे उत्कृष्ट कथायोदय स्थान में प्राइजघन्य-प्रमुष्ट माया पायक म्हवाग काल में जीव विशेषाधिक हैं। इससे उत्कृष्ट कषायोदय स्थान में और अजघन्य-अनुत्कृष्ट लोभ के उपयोग काल में विशेषाधिक है। इससे जघन्य कषायोदय स्थान में श्रीर उत्कृष्ट मानकपाय के उपयोग काल में जीव असंख्यात गुणित है। इससे जघन्य कपायोदय स्थान में और उत्कृष्ठ क्रोध कषाय के उपयोगकाल में जीव विशेषाधिक हैं। इससे जघन्म कषायोदय स्थान में और उत्कृष्ट माया कषाय के उपयोग काल में जीव विशेषाधिक हैं। इससे जघन्य कषायोदय स्थान में और उत्कृष्ट लोभकषाय के उपयोग काल में जीव विशेषाधिक हैं । इससे जघन्य कपायोदय स्थान में प्रोर जघन्य मानकषाय के उपयोगकाल में जीव असंख्यातगुणे हैं। इससे जघन्य कापायोदय स्थान में और जघन्य कोष के उपयोग काल में जीव विशेषाधिक हैं। इसमे जवन्य कषायोदय स्थान में प्रोर जपन्य माया कषाय के उपयोग काल में जीव विशेषाधिक हैं। इसके जघन्य कषायोदय स्थान में और जघन्य लोभ कषाय के उपयोग काल में जीव विशेषाधिक हैं। इससे जघन्य कपायोदय स्थान में और प्रजघन्य-अनुत्कृष्ट मानकषाय के उपयोग काल में जीव असंध्यातगुणे हैं । इससे जघन्य कषायोदय स्थान में और प्रजघन्य-अनुत्कृष्ट क्रोध के उपयोग काल में जीव विशेषाधिक हैं। इससे जघन्य कपायोदय . स्थान में तथा अजयन्य-अनुत्कृष्ट माया के उपयोगकाल में जीव विशेषाधिक हैं । इमसे जघन्य कषायोदय स्थान में और अजघन्यअनुत्कृष्ट लोभ के उपयोग काल में जीव विशेषाधिक हैं। इपसे अजघन्य-अनुत्कृष्ट कपायोदय स्थान में प्रोर उत्कृष्ट मान कषाय के उपयोग काल में जीव असंख्यात गुणे हैं । इमसे अजघन्य अनुत्कृष्ट कषायोदय स्थान में और उत्कृष्ट क्रोध के उपयो काल में जीब विशेषाधिक हैं । इससे अजयन्य-अनुत्कृष्ट कषा
SR No.090249
Book TitleKashaypahud Sutra
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorSumeruchand Diwakar Shastri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages327
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size7 MB
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