SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 113
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ३६ ) उसी प्रकार जिस कर्म में कम अनुभाग शक्ति होती है, उसे लता समान कहा है। लता की अपेक्षा काठ (दारु) समान अनुभाग शक्ति को दारु समान कहा है। उससे अधिक कठोर अस्थि समान अस्थि भाग है। शैल सदृश अत्यन्त कठोर अनुभाग को शैल कहा है। पदेस विहत्ती कर्मों के समुदाय में जो परमाणु हैं; उन्हें प्रदेश कहा गया है। अकलंक स्वामी ने राजवातिक में कहा है, "कर्मभावपरिणतपुद्गलस्कम्पपिरमाणु-पार छदै नाविधारण प्रदेश इतिव्यपदिश्यते" (अ. , सू. ३. पृ.२९९)-कर्मरूप परिणमन को प्राप्त पुद्गल स्कन्ध हैं, उनमें परमाणुओं की परिगणना द्वारा निर्धारण करने को प्रदेश कहा है। उनका विवेचन प्रदेश विभक्ति में हुआ है । इस प्रदेश विभक्ति के मूलप्रकृति प्रदेशविभक्ति और उत्तरप्रकृति प्रदेशविभक्ति रूप दो भेद कहे गए हैं। "पदेस-विहत्ती दुविहा मूलपडियदेस-विहत्ती उत्तरपयडिपदेसवित्ती चेव।" मूल प्रकृति प्रदेश विभक्ति में द्वाविति अनुयोगद्वार कहे गए हैं। ___ "मूलपडिविहत्तीए तत्य इमाणि वावीस अणियोगाराणि जादव्वाणि भवंत्ति । तं जहा भागाभाग, सव्वपदेसविहत्ती, णोसब्बपदेसविहत्ती, उक्कस्स-पदेसविहत्ती, अणुकस्सपदेसविहत्ती; जहण्णपदेसविहत्ती अजहण्णपदेसविहत्ती सादियपदेसविहत्ती प्रणादियपदेसविहत्ती, धुवपदेस बिहती, अद्ध वपदेसविहत्ती, एगजीवेण सामिर कालो, अंतरं, पापाजीवेहि भंगविचनो, परिमाणं, खेत, पोसणं, कालो, अंतरं, भावो, अप्पाबहुमं चेदि । पुणो भुजगार-पदणिक्श्चेव-बहिट्ठाणाणित्ति (६४९)
SR No.090249
Book TitleKashaypahud Sutra
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorSumeruchand Diwakar Shastri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages327
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy