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Samasatika Prakarana
Chau pannabisa solasa nava bannavisaya ya addhayala. Emalluttara chayalasaya ekkeya bandhavihi ||25||
Meaning:
In the 23 (prakritis), 25, 16, 9, 92, and 42 (prakritis), there are the respective number of types of bandhas (bondages).
The total of these is 641 individual types of bandhas.
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समसतिका प्रकरण
चउ पणवीसा सोलस नब बाणउईसया य अडयाला । एयालुत्तर छायालसया एक्केषक बंधविही ॥२५॥
शब्दार्थ-चबार, पणवीसा-पच्चीस, सोसस-सोलह, नव-नौ, माणउईसया-बानवसौ, ग-और, अजयाला--अतालीस, एमालुत्तर छायालसया-छियालीस सौ एकतालीस, एककेकएक-एक, अंधविहो-बंध के प्रकार, भंग ।
गाथार्थ तेईस प्रकृतिक आदि बंधस्थानों में क्रम में चार, पच्चीस, सोलह, नौ, बानवसौ अड़तालीस, छियालीरा सौ इकतालीस, एक और एक भंग होते हैं ।
विशेषायं--पूर्व गाथा में नामकर्म के बंधस्थानों का विवेचन करके प्रत्येक के भंगों का उल्लेख किया है। परन्तु उनसे प्रत्येक बंधस्थान के समुच्चय रूप से भंगों का बोध नहीं होता है। अतः प्रत्येक बंधस्थान के समुच्चय रूप से भंगों का बोध इस गाथा द्वारा कराया जा रहा है।
नामकर्म के पूर्व गाथा में २३, २५, २६, २८, २९, ३०, ३१ और १ प्रकृतिक, ये आठ बंधस्थान बतलाये गये हैं और इस गाथा में सामान्य से प्रत्येक बंधस्थान के भंगों की अलग-अलग संख्या बतला दी गई है कि किस बंधस्थान में कितने भंग होते हैं। किन्तु यह स्पष्ट नहीं होता है कि वे किस प्रकार होते हैं । अत: उन भंगों के होने का विचार पूर्व में बताये गये बंधस्थानों के क्रम से करते हैं। ___पहला बंधस्थान तेईस प्रकृतिक है। इस स्थान में चार भंग होते हैं। क्योंकि यह स्थान अपर्याप्त एकेन्द्रिय के योग्य प्रकृतियों के बांधने वाले जीव के ही होता है, अन्यत्र तेईस प्रकृतिक बंधस्थान नहीं पाया जाता है। इसके चार भंग पहले बता आये हैं। अत: तेईस प्रकृतिक बंधस्थान में वे ही चार भंग जानना चाहिये ।