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पत्र मंत्र ऋद्धि प्रादि सहित
[ ४१ ६ ऋद्धि-ॐ ह्रीं अहं शमो विसहरविसविणासयाण 'संभिण्णसोदाराणं ।
मंत्र-* इंदसेणा महाविज्जा देखलोगाम्रो मागया दिदिबंधणं करिस्सामि भडाणं भूपाणं अहिण दाढ़ीणं सिंगोणं चोराण चारियाणं जोहाणं वाघाणं सिंहाणं भूयार्ण गंधवाणं . महोरगाणं प्रसि । अण्णे वि . ) दुससाणं विद्विबंधणं मुहबंधणं करेमि ॐ इंदरिंदे स्वाहा ।
विषि-दीवाली के दिन निराहार रह कर १०८ वार इस मंत्र का जाप करे । पश्चात् मार्ग में चलते हुए इस मंत्र को २१ बार बोलने से सब प्रकार का भय तथा अपांवों की नाश होता है।
ॐ ह्रीं सर्वोपद्रवहरणाय श्रीजिनाय नमः ।
He points pat advantage of seelng God.
Oh Lord of the Jinas ! No sooner art Thou merely seen by persons, than they are indeed epontaneously released from bundreds of borsi. ble adversities, like the beasts from the thieves that are fleeing away at the mere sigbt of (1) the sun resplendent with lustre, (2) the king or (3) the cowherd shining with valour. (9) .
१--सम्भिन धोतृत्व नामक ऋद्धिधारी जिनों को नमस्कार हो ।